वो यात्रा जिसने सियासी गलियारों मे चर्चाए छोड़ दी। वो धार्मिक यात्रा जिसने प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की सत्ता मे वापसी करवाई और भाजपा के पक्ष मे जबरदस्त माहौल बना दिया था। भाजपा को बंपर परिणाम दिए थे और कांग्रेस सरकार को हटाकर अपना राज स्थापित कर दिया था। परिवर्तन यात्रा जो एक बार फिर से परिवर्तन संकल्प यात्रा के नाम से निकाली गई। जिसका कारण है धार्मिक स्थानों से प्रदेश के करोडों लोगों का जुडाव।
राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के उद्देश्य से शुरू हुई बीजेपी की परिवर्तन यात्रा क्या पूर्वी राजस्थान में सफल हो सकेगी इस पर संशय बना हुआ है। वजह है पूर्वी राजस्थान में ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट ERCP का मुद्दा। पूर्वी राजस्थान सहित प्रदेश के 13 जिलों के लोगों के पीने और सिंचाई के पानी के लिए यह योजना है। कांग्रेस लगातार केन्द्र सरकार से ERCP को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग कर रही है। वहीं, बीजेपी इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बचती हुई नजर आ रही थी।
ईस्टर्न राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट (ERCP) राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की योजना है। इस योजना के जरिए पार्वती कालीसिंध और चंबल नदियों को जोड़ने का प्लान बनाया गया था। इस प्रोजेक्ट के जरिए राजस्थान के पूर्वी हिस्से के 13 जिलों को लाभ पहुंचाने का प्लान इस योजना में था। जिन जिलों को इसका लाभ मिलेगा उनके नाम अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर, करौली हैं। इस प्रोजेक्ट के जरिए इन जिलों में पीने के पानी और 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के पानी की जरूरत पूरी होती रहेगी।
लेकिन आपको बता दे। अभी तक बीजेपी ERCP के मुद्दे पर सार्वजनिक मंच से कुछ भी बोलने से बच रही थी। पहली परिवर्तन यात्रा के शुभारंभ के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खुलकर ERCP के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि ERCP को जमीन पर लाने के लिए, उनकी सरकार ने 25 अगस्त 2005 को मध्यप्रदेश के साथ नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर समझौता किया। दुर्भाग्य से गहलोत सरकार आ गई और ERCP ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
दुबारा हमारी सरकार आई तो हमने डीपीआर बना कर इसका काम आगे बढ़ाया।साल 2017-18 और 2018-19 में बजट घोषणा कर नवनेरा बैराज और ईसरदा बांध का काम शुरू किया। कांग्रेस सरकार ने ERCP को पूरा करने के लिये साढ़े 4 साल में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया, इसलिए 13 जिलों की जनता प्यासी रही, हालांकि वसुंधरा राजे के अलावा जेपी नड्डा और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने भाषण में ERCP का जिक्र भी नहीं किया।
वही ठीक दो दिन बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ERCP के मुद्दे को हवा दी और कहा - केंद्र सरकार ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को बंद करना चाहती है, लेकिन हम इसे किसी भी हाल में बंद नहीं होने देंगे। हमारी जिद है कि यह परियोजना धरातल पर अवश्य उतरेगी। गहलोत सोमवार को गंगापुर सिटी में राजीव गांधी ग्रामीण और शहरी ओलिंपिक खेलों के जिला स्तरीय कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
आपको बता दे की पूर्वी राजस्थान में सबसे कमजोर स्थिति में है बीजेपी विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो बीजेपी पूर्वी राजस्थान में सबसे कमजोर स्थिति में है। पूर्वी राजस्थान के 5 में से 4 जिले तो ऐसे हैं, जहां पिछले चुनावों में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था। वहीं पूर्वी राजस्थान के 5 जिलों में से धौलपुर जिले में बीजेपी ने एक सीट जीती थी। यहां बीजेपी की टिकट पर शोभारानी कुशवाह जीतकर विधानसभा पहुंची थी। राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देने पर बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अब देखना यह होगा की क्या पूर्वी राजस्थान मे परिवर्तन यात्रा पर भारी पडेगा ERCP का मुद्दा ?