इस बार लोकसभा चुनाव में कई बड़े नाम हारे तो कई आम आदमी जीत करके संसद तक पहुंचे हैं. इन सबके बीच दो नाम ऐसे हैं जो आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद हैं और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर सांसद बन गए है ये दो नाम हैं इंजीनियर रशीद और अमृतपाल सिंह के
पहले बात करते है अब्दुल रशीद की जिन्हे इंजीनियर रशीद के नाम से जाना जाता है रशीद पहले कंस्ट्रक्शन इंजीनियर थे. उन्होंने 2008 में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. वो सिर्फ 17 दिनों के कैम्पेन के बाद कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले की लंगेट सीट से विधायक चुन लिए गए थे. 2008 के बाद 2014 में भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे. साल 2005 में SOG ने आतंकवादियों का समर्थन करने के आरोप में इंजीनियर रशीद को गिरफ़्तार किया था. राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें तीन महीने 17 दिन जेल में बिताने पड़े थे. बाद में श्रीनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मानवीय आधार पर उनके ख़िलाफ़ सभी आरोप हटा दिए.अक्टूबर 2015 में एक और विवाद हुआ था. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अंदर भाजपा विधायकों ने उन पर हमला किया था, स्याही फेंकी थी. क्योंकि उन्होंने सरकारी सर्किट लॉन में एक पार्टी आयोजित की थी, जिसमें कथित तौर पर बीफ़ सर्व हुआ था. 2019 में NIA यानि National Investigation Agency ने उन्हें UAPA यानि Unlawful Activities Prevention Act के एक केस में गिरफ़्तार किया था. इस केस में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और नामित आतंकवादी हाफ़िज़ सईद का भी नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है. इसी केस में इंजीनियर जेल में बंद हैं.रशीद ने लोकसभा चुनाव कश्मीर की बारामूला सीट से लड़ा.और जीत गए .
अमृतपाल सिंह की बात कर लेते है पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट की चर्चा अमृतपाल सिंह की वजह से ही शुरू हुई थी. वो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA के तहत असम की जेल में बंद हैं. अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ नाम के संगठन के लीडर हैं जो खालिस्तान का समर्थन करता है. इस संगठन से जुड़े लोगों ने 23 फरवरी, 2023 को पंजाब के अजनाना में एक पुलिस स्टेशन में धावा बोल दिया था. वो संगठन से जुड़े लोगों पर पुलिस की कार्रवाई से बेहद गुस्से में थे. पुलिस स्टेशन में जबरन घुसने वालों में खुद अमृतपाल शामिल थे.इस घटना के बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया. लेकिन अमृतपाल फरार हो गए. कई दिनों तक पुलिस को नहीं मिले. बीच-बीच में उनकी तस्वीरें आईं, लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाई. बाद में एक गुरुद्वारे में उन्होंने खुद ही सरेंडर कर दिया. उन पर NSA लगाया गया. तब से ही वो असम की dibroogadh जेल में बंद हैं. जेल में रहते हुए ही अमृतपाल ने सांसद बनने का इरादा किया और खडूर साहिब से पर्चा भर दिया. और जीत भी हासिल की
अब सवाल ये है की ये दोनों जेल से कैसे चुनाव लड़ पाए अमृतपाल सिंह और इंजीनियर रशीद अपने-अपने मामलों के आरोपी हैं, जो साबित नहीं हुए हैं. नियम कहते हैं कि आरोप साबित ना हों तो किसी को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक हालांकि जेल में बंद नागरिक वोट नहीं दे सकते.सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि आपराधिक दोष साबित होने पर सांसदों और विधायकों को डिसक्वालिफाई किया जाए. अगर अमृतपाल और रशीद को दो साल तक की सजा हो जाती है, तो उन्हें अपनी संसद सदस्यता छोड़नी पड़ेगी.
अब दूसरा सवाल ये है की ये दोनों शपथ कैसे लेंगे अब एक न्यूज़ एजेंसी ने यही सवाल संविधान एक्सपर्ट और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी से किया. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बताया कि सांसदी की शपथ लेना विजेताओं का संवैधानिक अधिकार है. लेकिन इसके लिए उन्हें विशेष प्रकिया से गुजरना होगा. पहले उन्हें संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी कि उन्हें संसद में शपथ लेने के लिए दिल्ली जाना है. अधिकारी उन्हें इसकी इजाजत देंगे जिसके बाद ही उन्हें जेल से निकाला जाएगा, दिल्ली लाया जाएगा, संसद पहुंचाया जाएगा, जहां वो शपथ लेंगे. अचारी के मुताबिक इसके बाद उन्हें वापस जेल जाना होगा.पूर्व लोकसभा महासचिव ने आगे संविधान के अनुच्छेद 101 (4) का जिक्र किया जो संसद सदस्यों की अनुपस्थिति को एड्रेस करता है. अचारी ने बताया कि सांसदों को स्पीकर को बताना होगा कि वो क्यों सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकते. इसके बाद स्पीकर उनकी रिक्वेस्ट को हाउस कमिटी ऑन ऐब्सेंस ऑफ मेंबर्स को फॉरवर्ड करेंगे. कमिटी फैसला लेगी कि उन्हें सदन से अनुपस्थित रहने की अनुमति होगी या नहीं. उसकी सिफारिश पर स्पीकर सदन में वोटिंग कराएंगे जिसके पास होने के बाद कैदी सांसदों को संसद ना आने की अनुमति मिल जाएगी.