जयपुर हरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर का निलंबन राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है और कोर्ट ने स्वायत्त शासन विभाग की जांच को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए दोबार जांच के आदेश दिए है। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने इसे लेकर आदेश जारी किया है। मुनेश की ओर से पैरवी कर रहे उनके वकील का कहना है कि कोर्ट ने मुनेश को लेकर की गई जांच को दुर्भावनापूर्ण माना है। हमने कोर्ट में अपनी ओर से कुछ तथ्य रखे जिसमें बताया गया कि जिस अधिकारी को सरकार ने पिछले निलंबन के दौरान कोर्ट में ओआईसी नियुक्त किया था। जांच में उसी अधिकारी को नियुक्त कर दिया गया और जांच रिपोर्ट में मेयर मुनेश पर कुछ ऐसे आरोपों को लेकर नोटिस थमाया गया जो मेयर पर लगे ही नहीं और मेयर को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया। जिसके बाद कोर्ट ने इस जांच को ऐसे में मेयर को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। दुर्भावनापूर्ण तरीके से उन्हें निलंबित कर दिया गया।
मुनेश के वकील का कहना है कि मुनेश को डीएलबी डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर की ओर से नोटिस जारी किए गए थे जिसके बाद मेयर मुनेश डायरेक्टर के सामने उपस्थित भी हुई थी। जिसके बाद सरकार ने डिप्टी डायरेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर 22 सितंबर को मेयर को निलंबित कर दिया। इससे पहले भी मेयर को 5 अगस्त को निलंबित किया गया था। जिसे भी हाईकोर्ट रद्द कर दिया था। कोर्ट में मुनेश की ओर से दलील दी गई कि राज्य सरकार ने प्रार्थिया का निलंबन नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 के प्रावधानों व तथ्यों के विपरीत किया है। उसके खिलाफ जिन तथ्यों पर जांच हुई हैं, वे एफआईआर से ही साबित नहीं हो पाए थे। वहीं मामले में जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश डीएलबी निदेशक ने निकाला, जबकि ऐसा आदेश राज्यपाल के निर्देशों के तहत ही जारी हो सकता है। इसके अलावा रूल्स ऑफ बिजनेस के तहत मेयर से संबंधित किसी भी कार्रवाई के लिए सीएम से भी अनुमोदन जरूरी है लेकिन उनका निलंबन व जांच की कार्रवाई स्वायत्त शासन मंत्री के आदेश पर की गई है।