लोकेशन-जयपुर
संवाददाता- दीक्षा शर्मा
राजस्थान की राजनीति और किसानों की आवाज माने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम का दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। खासकर बाड़मेर-जैसलमेर और मरुस्थलीय इलाकों के लोग इस क्षति को अपूरणीय मान रहे हैं।
कर्नल सोनाराम का व्यक्तित्व केवल एक संसदीय क्षेत्र तक सीमित नहीं था, बल्कि वे पूरे राजस्थान और देशभर के किसानों की आवाज माने जाते थे। संसद में उन्होंने हमेशा किसानों, सैनिकों और सीमावर्ती इलाकों की समस्याओं को मजबूती से उठाया।
कर्नल सोनाराम के निधन के समय संसद का मानसून सत्र चल रहा था, लेकिन कांग्रेस के किसी बड़े नेता के श्रद्धांजलि अर्पित न करने पर सवाल उठे हैं। यहां तक कि उनकी पार्थिव देह को कांग्रेस मुख्यालय (AICC) में दर्शनार्थ भी नहीं रखा गया।
इसको लेकर समर्थकों और राजनीतिक हलकों में नाराजगी देखने को मिली। कई लोगों का कहना है कि कर्नल सोनाराम का योगदान पूरे देश के किसानों के लिए था, ऐसे में कांग्रेस पार्टी को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कर्नल सोनाराम के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कांग्रेस और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि संसद सत्र के दौरान किसी भी नेता का श्रद्धांजलि देने न आना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। बेनीवाल ने कहा कि कर्नल सोनाराम का निधन केवल बाड़मेर-जैसलमेर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों की आवाज का खो जाना है। उन्होंने कहा – मैं कर्नल साहब को व्यक्तिगत रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।
कर्नल सोनाराम के समर्थक और किसान समाज उनके निधन से गहरे आहत हैं। उनका कहना है कि यह केवल एक नेता की क्षति नहीं, बल्कि किसानों की आवाज़ खोने जैसा है।