कांग्रेस के 81 विधायकों द्वारा 25 सितंबर 2022 को दिये गये त्यागपत्रों पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लंबे समय तक निर्णय नहीं किये जाने के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ द्वारा प्रस्तुत पीआईएल पर आज मंगलवार को न्यायाधिपति मदन मोहन श्रीवास्तव एवं न्यायाधिपति प्रवीर भटनागर की खंडपीठ में सुनवाई हुई। जिसमें राठौड़ ने स्वयं पैरवी करते हुए कहा कि उनके द्वारा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करके त्यागपत्रों के घटनाक्रम से जुड़े हुए समस्त दस्तावेज विधानसभा अध्यक्ष द्वारा माननीय न्यायालय से छिपा लिये गये हैं।
राठौड़ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ना तो माननीय सदस्यों द्वारा दिये गये त्यागपत्रों की प्रतिलिपि रिकॉर्ड पर लाई गई, ना ही 81 विधायकों के त्यागपत्रों की जांच के आदेश पारित किये गये और ना ही विधायकों द्वारा त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं होना बताकर वापिस लेने के संबंध में दिये गये प्रार्थना पत्रों को भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष रिकॉर्ड पर लाया गया।
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राठौड़ ने माननीय उच्च न्यायालय में दलील देते हुए कहा कि विधायकों द्वारा दिये गये त्यागपत्रों पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 113 दिनों के लंबे समय तक निर्णय लंबित रखकर कांग्रेस के आलाकमान को दबाव में लाने का एक नायाब तरीका ईजाद किया गया, जो ना केवल लोकतंत्र के साथ मजाक है, अपितु प्रजातांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक साबित होगा। अतः इस बिन्दु पर यह निर्णय किया जाना अतिआवश्यक है कि कितने समय में विधायकों द्वारा दिये गये त्यागपत्रों पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस बाबत् आदेश पारित करना चाहिये ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
माननीय उच्च न्यायालय में प्रतिपक्षी की ओर से उपस्थित हुए महाधिवक्ता महेन्द्र सिंघवी ने कहा कि ''याचिकाकर्ता राजेन्द्र राठौड़ ने अपनी याचिका में यह अनुतोष मांगा है कि विधानसभा अध्यक्ष को त्यागपत्रों पर निर्णय करने के निर्देश दिये जायें। चूंकि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों के त्यागपत्रों पर 13 जनवरी 2023 को आदेश पारित कर दिये गये, अतः याचिका अब सारहीन हो चुकी है।''
इसके प्रत्युत्तर में राठौड़ ने कहा कि 2 जनवरी 2023 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विधिक बिन्दु इस आशय का सृजित किया गया था कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा त्यागपत्रों पर निर्णय लेने के लिए कितना समय होना चाहिये। इसी आदेश की पुनरावृत्ति माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 16 जनवरी 2023 को भी की गई है।
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राठौड़ ने दलील देते हुए माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि अब मात्र न्यायालय को यह निर्णित करना है कि विधायकों के त्यागपत्र पर माननीय विधानसभा अध्यक्ष को कितने समय में निर्णय लेना चाहिये। राठौड़ द्वारा दिनांक 13 जनवरी 2023 को 81 विधायकों के त्यागपत्रों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अस्वीकार करने के संबंध में दी गई चुनौती की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई हेतु दिनांक 9 अक्टूबर 2023 का समय दिया।