राजस्थान विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी पर टिप्पणी करने से शुरू हुआ गतिरोध पांचवें दिन भी जारी है। मंगलवार 25 फरवरी को कांग्रेसी विधायकों ने सदन का बहिष्कार किया और विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरना दिया। इस धरने में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इस दौरान सचिन पायलट ने मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि विधानसभा इस राज्य की जनता की संपति है। विधानसभा का सत्र आहूत होता है चर्चा के लिए, संवाद के लिए विपक्ष सरकार से सवाल पूछ सके। सरकार की जवाबदेही तय हो, हम सब चाहते है कि सदन चले लेकिन जो गतिरोध पैदा हुआ उसकी जड़ एक मंत्री ने इंदिरा गांधी को अपमानित करने की कोशिश करी । जिन शब्दों का प्रयोग किया गया स्वर्गीय प्रधानमंत्री जो देश के लिए शहिद हुई थी। उनका पूरा देश पूरी दुनिया में लोग मान सम्मान करते है। उनको अपमानित करने का काम किया।
हम चाहते है की मंत्री जिन्होंने इस बात को बेवजह बोला वो सदन के अंदर उसपर अपना खेद प्रकट करे माफी मांगे । हमने अपनी मांग रखी लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने 6 विधायकों को निलंबित कर दिया। फिर कहा कि हम सब लोग खेद प्रगट करे वो भी हमने कर दिया। ना तो उसको हटाया ना उस मंत्री ने खेद प्रगट किया। मंशा यह है कि अंबेडकर को अपमानित करो देश की संसद के अंदर इंदिरा को अपमानित करो राजस्थान की विधानसभा के अंदर लोगों को उग्र करो जज्बातों को भड़काओ, लोगों को अपमानित करो ताकि संवाद नहीं हो, चर्चा नहीं हो सदन चल ना सके, सदन चलेगा तो सरकार की पोल खुलेगी। किरोड़ी लाल मीणा मंत्री होते हुए बार बार कह रहे है मेरा फोन टैप हो रहा है। एक शपथ लिया हुआ मंत्री जो सरकार का हिस्सा है वह कहता है कि मेरा फोन टैप हो रहा है उनकी पार्टी नोटिस देती है फिर वो बोलते है इनके आपस में इतना द्वंद मचा हुआ है कि यह नहीं चाहते कि सदन के अंदर हम सवाल पूछे सवाल करेंगे तो इनको शर्मशार होना पड़ेगा । सदन ना चलने की साजिशपूर्ण तरीके से कारवाई कर रहे है । आज हम सब सदन जा रहे थे सदन के परिसर में जाने से भी मना किया हुआ है यह तरीका गलत है सरकार का रवैया तानाशाही रवैया है। अध्यक्ष महोदय का हम सब सम्मान करते है। उनकी जिम्मेदारी है सरकार की जिम्मेदारी है सदन चले। सदन को सुचारु रूप से चलाना यह सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है। हम आज भी संवाद के लिए तैयार है।