द नगरी न्यूज़ डेस्क : राजस्थान बीजेपी की चिंताएं उनके अपने मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर बढ़ा दी हैं। कुछ ही समय बाद राजस्थान में विधानसभा की 5 सीटों पर उपचुनाव होना है। ऐसे में दिग्गज नेता की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकती है। बताया जा रहा है कि दो सीटों पर किरोड़ी बाबा की सीधी पकड़ है। यानी उनकी नाराजगी के कारण बीजेपी को इन सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। पार्टी डैमेज कंट्रोल की कवायद में जुटी है। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने चुनावों को लेकर अपनी रणनीति बना ली है।
उपचुनाव में बीजेपी की रणनीति सभी 5 सीटों जीतने की है। लेकिन किरोड़ी लाल को लेकर खलबली बीजेपी में साफ़ दिख रही है। पार्टी को यही डर है कि उनकी नाराजगी के कारण कही समीकरण न बिगड़ जाएं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जो नुकसान झेलना पड़ा था। पार्टी उसको लेकर भी चौकन्नी है। लोकसभा में बीजेपी को अच्छे नतीजे नहीं मिले तो वही बीजेपी का मिशन 25 भी फ़ैल होगया । पार्टी को ऐसी सीटों पर भी हार का सामना करना पड़ा, जहां वह जीत को लेकर निश्चिंत थी। अब मीणा ने इस्तीफा देकर पार्टी को और कड़ी चुनौती दे दी है। पार्टी ने पांचों सीटों को लेकर जो प्रभारी बनाए हैं, उनके साथ मीटिंग कर खास प्लान तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक प्रभारियों को दो महीने तक लगातार अपने इलाके में सक्रिय रहने के आदेश आलाकमान और राज्य के शीर्ष नेतृत्व ने जारी किए हैं।
फिलहाल राजस्थान की दौसा, देवली, खींवसर, चौरासी और झुंझुनू सीटें खाली हैं। इनके विधायक जीतकर सांसद बन चुके हैं। खास बात यह है कि इन सीटों पर विधानसभा चुनाव बीजेपी हार चुकी है। यानी एक भी सीट बीजेपी के कब्जे में नहीं है। ऐसे में पार्टी की रणनीति सभी सीटों पर जीत हासिल करने की है। लोकसभा में जो नुकसान बीजेपी को हुआ। इस उपचुनाव में अगर बीजेपी जीत गई तो उसकी भरपाई कहीं न कहीं हो जाएगी। और हाईकमान को भी पॉजिटिव संदेश जाएगा। लेकिन माना जा रहा है कि मीणा के इस्तीफे का असर दौसा और देवली सीट पर पड़ सकता है। यहां काफी संख्या में मीणा वोटर हैं, जो बीजेपी से छिटक सकते हैं। देवली से पहले हरीश मीणा विधायक रह चुके हैं। वहीं, दौसा से मुरारी लाल मीणा जीत चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मीणा समुदाय के समर्थन के बिना दोनों सीटों पर विधायक नहीं बनता।