भाजपा पर जब जब संकट मंडराया है तब तब हर संकट की घड़ी में भाजपा के एक मजबूत चेहरे ने पार्टी का साथ दिया है वो मजबूत चेहरा है राजनाथ सिंह जो देश के रक्षामंत्री है।
फिलहाल राजस्थान में भाजपा के सामने मुख्यमंत्री पद को लेकर संशय बना हुआ है और साथ ही पार्टी में अंदरूनी कलह का संकट भी अभी तक कही न कही बरक़रार है तो ऐसी स्थिति में राजनाथ सिंह ही एक ऐसे है संकटमोचक है जो पार्टी को याद आए हैं। दरअसल राजनाथ सिंह बीजेपी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में से एक है जो जमीनी स्तर से उठकर संगठन में होते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पद तक पहुंचे हैं। राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष भी रह चुके हैं,2005 से लेकर 2009 तक उन्होंने राष्ट्रिय अध्यक्ष का पदभार संभाला है। उसके बाद 2013 में जब नितिन गडकरी ने भाजपा के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया था तब पार्टी एक कमजोर मोड पर आकर खडी हो गई थी। उस समय भी राजनाथ सिंह ने ही अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी और पार्टी को उस संकट की घड़ी से बाहर निकाला था।
राजस्थान में जब वसुंधरा राजे की सरकार थी तब राजनाथ सिंह भाजपा के पहली बार अध्यक्ष बने थे। इस दौरान वसुंधरा से उनका पुराना तालमेल रहा है। फिलहाल तो राजस्थान में वसुंधरा ही ऐसी नेता है जिसने मुख्यमंत्री के पद को लेकर पुरे राजस्थान से लेकर दिल्ली तक हलचल पैदा कर रखी है। भाजपा ने राजस्थान का रण तो बहुमत के साथ जीत लिया है लेकिन पार्टी में अब मुख्यमंत्री पद को लेकर रार बरकरार है। ऐसे में बीजेपी ने पर्यवेक्षकों के जरिए इस जटिल मसले को सुलझाने का प्रयास किया। ऐसे में राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर इस उलझे मसले को सुलझाने के लिए पार्टी ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जैसे कद्दावर और अनुभवी नेता को ही पर्यवेक्षक बनाया है।