लोकेशन- जयपुर
संवाददाता- दीक्षा शर्मा
राजस्थान की सियासत में तबादलों का मुद्दा एक बार फिर गरमाया है। इस बार निशाने पर शिक्षा विभाग और मुख्यमंत्री खुद हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने गुरुवार दोपहर अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोला। डोटासरा ने आरोप लगाया कि सरकार तबादलों पर बैन का ढोल पीट रही है, लेकिन उसी बैन के नाम पर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है।
डोटासरा ने कहा, ऐसा लगता है कि शिक्षा मंत्री मानकर बैठे हैं कि शिक्षा में सुधार का सबसे बड़ा हथियार केवल ट्रांसफर करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि योग्य शिक्षक, जो पदोन्नति के हकदार हैं, वे भटक रहे हैं या रिटायर हो चुके हैं, जबकि बैकडोर से पर्ची कटाने वालों को मनचाही पोस्टिंग दी जा रही है।
डोटासरा ने बताया कि 26 मई को उप-प्राचार्य से प्राचार्य के 4,224 पदों पर पदोन्नति (DPC) हुई। लेकिन 29 मई को इन सभी को यथास्थान पदस्थापन का आदेश दे दिया गया। यानी, जिन स्कूलों में पहले से ही प्रिंसिपल थे, वहां नए प्रिंसिपलों को भी नियुक्त कर दिया गया।
डोटासरा ने कहा कि पदोन्नति पाने वाले 4,224 शिक्षकों में से 425 शिक्षक बिना पोस्टिंग के रिटायर हो गए। बाकी लगभग 3,800 शिक्षकों को पदस्थापन के लिए विभाग भटका रहा है। दो बार काउंसलिंग का कार्यक्रम जारी हुआ, लेकिन पहले रद्द कर दिया गया और अब 25 अगस्त को नई तारीख दी गई। इसके बावजूद विभाग ने रिक्त पदों की सूची तक जारी नहीं की।
डोटासरा ने बताया कि शिक्षा विभाग की इस मनमानी से शिक्षक संघ भी नाराज हैं। प्रिंसिपल के पद रिक्त होने के बावजूद योग्य शिक्षकों को पोस्टिंग नहीं मिलने पर वे विरोध कर रहे हैं। शिक्षक संघों ने मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन डोटासरा के मुताबिक, मुख्यमंत्री भी विभागीय मंत्री और आरएसएस के गठजोड़ की मनमानी को रोक नहीं पा रहे हैं।