राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर पर मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जो जिम्मेदारी उन्हें प्रदान की गई है उसे ईमानदारी से पूरा कर रहे हैं और इसमें उन्हें दायित्व मिले कितने दिन हो गये इसकी गणना करने की बजाए अपने काम को बेहतर ढंग से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस का बूथ, मण्डल, ब्लॉक व नगर कांग्रेस कमेटियों का गठन लगभग पूरा हो गया है और लगभग सभी संगठनात्मक पदों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति का काम हो चुका है तथा अब संगठन के माध्यम से प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा की केन्द्र व प्रदेश सरकार की कमियों एवं जनविरोधी कार्यों को आमजन के बीच उजागर करने का कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संगठन प्रदेशभर में जमीनी स्तर पर कार्य करते हुये पीडि़त प्रदेशवासियों की सेवा करने का कार्य करेगा और आमजन के सुख-दु:ख में भागीदारी करते हुये किस तरह से प्रदेशवासियों को कष्टों से मुक्ति दिलाई जाये इस हेतु कार्य करेंगे।
डोटासरा ने कहा कि आज प्रदेश की भाजपा सरकार जवाबदेही से बचने का कार्य कर रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा जो जनहित व जनकल्याणकारी योजनायें शुरू की थी उन्हें ठण्डे बस्ते में डालकर अवरूद्ध करने का कार्य भाजपा सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि आज सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दे रहा है। मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत् 25 लाख रूपये का नि:शुल्क ईलाज, आरजीएचएस के तहत् कर्मचारियों को ईलाज क्यों नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिये कि एक करोड़ लोगों को जो पेंशन देने का कार्य पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने किया था उसका लाभ लोगों को क्यों नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि 8 हजार करोड़ रूपये से अधिक की योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने शेखावाटी अंचल के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिये बनाकर वित्तीय स्वीकृति जारी की थी, इस योजना का काम क्यों प्रारम्भ नहीं हुआ है, इसका जवाब भाजपा सरकार को देना चाहिये, क्योंकि मुख्यमंत्री जिन्होंने चार माह में यमुना जल लाने हेतु डीपीआर बनाने की घोषणा की थी, वह डीपीआर भी नहीं बनी और मुख्यमंत्री स्वयं को भागीरथी कहवाकर अपना सम्मान करवाते रहे।
डोटासरा ने कहा आरजीएचएस में, ना 25 लाख का ईलाज लोगों को नि:शुल्क मिल रहा है क्योंकि सरकार ने डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में अस्पतालों के बकाया का भुगतान नहीं किया है। ऐसी स्थिति में निजी अस्पताल मरीज का ईलाज कैसे कर पायेगा, यह सरकार को सोचना चाहिये। उन्होंने कहा कि अगर रोड बनाने वाले ठेकेदार को भुगतान नहीं मिलेगा तो सडक़ें कैसे बनेगी। आज 3500 करोड़ से ज्यादा का भुगतान ठेकेदारों का बकाया सरकार पर है, ऐसी परिस्थिति में ठेकेदार कैसे काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आज सरकार के पास किसी भी विभाग के लिये पैसा नहीं है और तो और सरकारी कर्मचारियों के वेतन देने के भी लाले पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में माफिया हावी हो रहा है और भाजपा से चुने हुये जनप्रतिनिधि इतने अलोकतांत्रिक और मर्यादाहीन हो चुके हैं
प्रदेश में प्यार, मोहब्बत, भाईचारा बढ़ाने की बजाए नफरत का माहौल बना रहे हैं एवं हिन्दू-मुस्लिम के आधार पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का एक जनप्रतिनिधि तो पुलिस थाने में सीआई की कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है और एक जनप्रतिनिधि जो पुलिस अधिकारी के पैर पकड़ रहा है कि मेरी सुनवाई कर लो। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि में लोग बह गये और मर रहे हैं, 12 से ज्यादा मौतें हो गई है, कोटा, भीलवाड़ा, पाली में दो घटनायें हो गई, कलेक्टर-एसपी ट्रेक्टरों पर बैठकर सवारी कर रहे हैं, क्या यह उचित है, जबकि इन अधिकारियों को अतिवृष्टि में आपदा प्रबंधन हेतु योजना बनाकर लागू करनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पॉंच-पॉंच महिने से कैबीनेट की बैठक नहीं बुलाते हैं और बुलाते हैं तो जनहित के निर्णय लेने की बजाए जनता पर कुठाराघात करने वाले निर्णय लिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने नई टाउनशिप पॉलिसी की घोषणा की है जबकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 10 लाख से ज्यादा पट्टे बांटे थे और आज एक पट्टा सरकार दे नहीं रही है, वह भी जब पट्टा शुल्क 4 से 5 गुना अधिक कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आज प्रश्र यह है कि यह सरकार किसके फायदे के लिये चल रही है, कोई जवाबदेही इस सरकार की नहीं है, न्यायालयों में रोज खिंचाई हो रही है, कभी एसआई भर्ती में न्यायालयों में अधिकारियों को तलब किया जा रहा है और डर है कि कहीं मुख्यमंत्री को ही तलब ना कर लिया जाये कि उन्होंने 6 माह तक इस मुद्दे पर निर्णय क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों के चुनाव नहीं करवा रही है, राज्य निर्वाचन आयोग कह रहा है कि जानबूझकर रोज नये-नये बहाने बनाकर पंचायत राज संस्थाओं व नगर निकाय के चुनाव सरकार नहीं करवाना चाहती है।