सत्ता से बाहर हुए अशोक गहलोत अब सचिन पायलट को फिर से अपना निशाना बना रहे हैं,,,,गहलोत पायलट को राजस्थान विधानसभा में विपक्ष का नेता बनने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं,,,,मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित हुई जहां एक ऑनलाइन प्रस्ताव पारित किया गया था,,,,बैठक में विधायक दल का नेता चुनने का फैसला हाईकमान पर छोडा गया,,,,
लेकिन पूरी बैठक में एक बात बहुत चर्चित रही,,,,दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड्गे ने गहलोत के कहने पर जो टीम जयपुर भेजी, उसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मुकुल वासनिक थे,,,,जो गहलोत के करीबी माने जाते हैं,,,,बता दे दोनों ने कांग्रेस के एक एक विधायक से करीब 20 मिनट तक बातचीत की है,,,,ऐसे में एक बड़ा सवाल यहाँ उठता है की बैठक में जब विधायक दल का नेता चुनने का फैसला पहले ही हाईकमान को सौंप दिया गया है,,,,तो फिर गहलोत के दोनों करीबी नेता ने हर विधायक से लगभग 20 मिनट तक क्यों बातचीत की,,,,
बता दें गहलोत पायलट को सीएलपी का नेता बनने से भी रोकना चाहते हैं,,,,पायलट अगर सीएलपी का नेता बनना चाहते हैं तो वो बन जाएंगे,,,,लेकिन गहलोत पायलट के हर इरादे को विफल करने की हरसंभंव कोशिश कर रहे हैं,,,,सूत्रों के मुताबिक गहलोत वो व्यक्ति है जो राजस्थान में सत्ता के हर परिणाम को कंट्रोल करना चाहते हैं,,,,
2018 से लेकर 2023 तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच आज भी राजनीतिक खींचतान चलती रही है,,,,चाहे वो 2020 में पायलट का रूठकर मानेसर चले जाना हो,,,,या चुनाव से कुछ ही महीने पहले अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ जाना,,,,उस समय मुख्यमंत्री बनने की बेताबी सचिन पायलट की गतिविधियों में साफ दिख रही थी,,,,हर बार आलाकमान बात घुमा फिराकर उन्हें अगले चुनाव का इंतजार करने के लिए कहती थी,,,,लेकिन अभी जैसे ही चुनाव हुए उनकी पार्टी हार गई,,,,और इंतज़ार फिर से पांच साल के लिए बढ़ गया,,,,क्योंकि अगले पांच साल तक उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ेगा,,,,ऐसे में सवाल उठता है कि सचिन पायलट का भविष्य आगे किस ओर बढ़ता है,,,,