निर्दलीय उम्मीदवार का खर्चा और प्रमुख पार्टी यानी बीजेपी और कांग्रेस का खर्चा निर्दलीय पार्टी से कही ना कही अलग होता है। अगर निर्दलीय उम्मीदवार के खर्चें की बात करें तो राजस्थान में सीएम गहलोत के करीबी कहे जाने वाले बागी निर्दलीय का चुनाव खर्च उनसे ज्यादा है। ऐसा चुनाव आयोग की रिपोर्ट्स के मुताबिक सामने आया है।
25 नवंबर 2023 में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव का बिगुल बज उठा है। सभी पार्टियों ने और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जनता के बीच चुनावी प्रचार-प्रसार में कही कमी नहीं आने दी। पार्टियों ने अपने चुनावी प्रचार का खर्चा, जो प्रचार के दौरान खर्च हुआ है उसका बिल चुनाव आयोग को भेज दिया है। किसी का बिल लाखों में हैं तो किसी का हजारों में हैं।
बात करें मंत्रियों की तो चुनाव प्रचार में 25 मंत्रियों में खर्च में सबसे आगे कांग्रेस के अशोक चांदना है तो सबसे पीछे टिकाराम जुली है। बीजेपी में भी मंत्रियों ने चुनाव प्रचार-प्रसार में लाखों रूपए का बिल वहन किया है, लेकिन एक निर्दलीय उम्मीदवार का खर्चा पार्टी के वरिष्ट नेताओं के चुनावी प्रचार में खर्च से कही ज्यादा है।
बात हो रही हैं यहां सिवाना से बागी निर्दलीय सुनील परिहार की। जिनका चुनाव खर्च सीएम अशोक गहलोत के चुनाव प्रचार से दोगुना ज्यादा है। सुनील परिहार सीएम गहलोत के करीबी माने जाते हैं। आपको बता दें सुनील परिहार ने चुनाव प्रचार में 4.22 लाख रूपए खर्च किए हैं तो वहीं सीएम ने सिर्फ 2.06 लाख रूपए खर्च किए हैं।
चित्तौढ़ से भाजपा के बागी निर्दलीय चंद्रभान ने चुनाव प्रचार में 5.63 लाख रूपए खर्च किए हैं। ऐसे ही सांचौर से भाजपा के बागी निर्दलीय जीवाराम ने 9.93 लाख रूपए चुनाव प्रचार में खर्च किए हैं।
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राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बारे में बात करें तो जहां भाजपा ने उनको अब तक नजरअंदाज किया है तो राजे ने अपने चुनावी प्रचार में कही कमी नहीं आने दी और 6 लाख रूपए से ज्यादा का खर्च चुनाव प्रसार में किया है। आपको बता दें निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर वसुंधरा राजे के खर्चे में कुछ अंतर पाया गया है। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, राजे का खर्चा 7,29,127 रूपए आया है, लेकिन राजे ने अपना खर्च 6,94,726 हजार रूपए बताया है।
वहीं अगर बात करें चूरू के तारानगर सीट से भाजपा प्रत्याशी और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की तो राठौड़ ने अब तक अपना चुनावी खर्च 1,96,978 रूपए बताया है लेकिन उनके सामने खड़े कांग्रेस प्रत्याशी नरेन्द्र बुडानिया ने अपना खर्च 6,07,228 रूपए बताया है।जो राजेंद्र राठौड़ से कई गुना ज्यादा है।
आखिरी में बात करते हैं आरएलपी सुप्रीमों हनुमान बेनीवाल की तो आपको बता दें हनुमान बेनीवाल की। जहां बेनीवाल बोलने में बेबाक बोलते हैं तो वैसे ही अपने चुनाव प्रचार मे खर्चा भी दिल खोलकर किया है। 7,99,819 रूपए का खर्च बेनीवाल ने चुनाव आयोग को बताया है और अपना बिल पेश किया है। बेनीवाल के खर्चों में ये सारा खर्च गाड़ियों में स्कॉर्पियो, बोलेरो और इनके अलावा दरी, गद्दे, कुर्सी चाय, पानी, केम्पर, बैनर, टेंट, आदि का खर्च है।
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आचार संहिता लगने के बाद से लेकर अब तक 1875 प्रत्याशियों ने चुनाव खर्च का ब्योरा चुनाव आयोग को भेजा है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार कई सीटों पर मुकाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि राज्य की 35 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें कई नेता ऐसे हैं जिनको बीजेपी या फिर कांग्रेस से टिकट नहीं मिली है इसीलिए वो निर्दलीय मैदान में उतरकर कांग्रेस और भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। बता दें 1875 में से 1338 निर्दलीय और छोटी पार्टियों के प्रत्याशियों ने मात्र एक हजार से पांच हजार तक के खर्चे में अपना चुनाव प्रचार निपटा दिया है। ये खर्चा सिर्फ चाय, कचोरी, पोहा और नमकीन पर दिखाया गया है।
राजस्थान विधानसभा 2023 के चुनावों में मंत्रियों ने और नेताओं ने अपने अपने चुनाव प्रचार में खर्च हुए रुपयों का ब्यौरा पक्के बिल के साथ आयोग को भेज दिया है। लेकिन कांग्रेस के एक मंत्री विश्वेंव्द्र सिंह ने पक्के बिल के साथ अपना खर्चा पेश नहीं किया है।
एक नेता की साफ़ छवि जनता के बीच अपना विश्वास कायम करती है और जनता भी उसी का साथ देती है। खर्च कम है या ज्यादा ये आयोग तय करेगा लेकिन ये लोकतंत्र है जनता ही अंतिम फैसला तय करेगी कि किसकी जीत होगी और किसकी हार और जिसको जनता चुनेगी वहीं होगा राज्य का सर्वेसर्वा।