द नगरी न्यूज़ डेस्क : (संदीप अग्रवाल) विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव पर राजनैतिक पार्टीयों का फोकस रहा है। ऐसे में अब लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल सामने आ चुके हैं। मीडिया और न्यूज एजेंसियों ने चुनाव परिणाम को लेकर अपने-अपने आकलन जारी किए हैं। इन सब में डीबी लाइव ने अपने एग्जिट पोल में एनडीए को 215 से 245 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। वहीं इंडी गठबंधन य को 260 से 290 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। जबकि 28 से 48 सीटें अन्य के खाते में जाने के कयास लगाए गए हैं. डीबी लाइव के इन एग्जिट पोल में यूपी ही नहीं राजस्थान में भी बीजेपी की चिंता बढ़ाने वाला अनुमान जताया है। इस एग्जिट पोल में राजस्थान की 25 सीटों में से एनडीए को 17 से 19 सीटें मिलने के आसार जताए हैं।
यहां इंडी गठबंधन को 6 से 8 सीटें मिलने का पूर्वानुमान लगाया गया है। इस एग्जिट पोल ने राजस्थान की कोई भी सीट के अन्य के खाते में जाती हुई नहीं बताई है। इस एग्जिट पोल के अनुसार उत्तर प्रदेश में एनडीए को 46 से 48 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है। वहीं इंडिया गठबंधन को 32 से 34 सीटें मिलने के आसार जताए हैं। राजस्थान की कुल 25 सीटों पर बीजेपी बीते दस साल से काबिज है। बीजेपी ने इस बार सभी सीटों पर खुद ही चुनाव लड़ा है। बीजेपी सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में नागौर की सीट को गठबंधन के तहत आरएलपी के लिए छोड़ा था। उस समय उस सीट पर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल विजयी हुए थे। लेकिन बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समय कृषि कानूनों का विरोध करते हुए एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ लिया था।
बेनीवाल ने इस बार अपनी सीट के लिए इंडी गठबंधन से हाथ मिला लिया और फिर चुनाव मैदान में आ गए। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार 22 सीटों पर खुद चुनाव लड़ा है। तीन सीटें उसने गठबंधन के तहत सहयोगियों के लिए छोड़ी है। इनमें नागौर के अलावा सीकर और बांसवाड़ा लोकसभा सीट शामिल है, सीकर में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर कामरेड अमराराम मैदान में हैं। कांग्रेस प्रत्याशी की ओर से नामांकन दाखिल करने के बाद गठबंधन हुआ तो कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी विड्रो करने की बात कही थी। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी ने फार्म विड्रो नहीं किया। इसलिए उसने अपने वोटर्स को रोत को वोट देने की अपील की थी। सीकर में अमराराम का किसानों के बीच खासा प्रभाव है। वहीं बांसवाड़ा में भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत को समर्थन दे रखा है। समर्थन इसलिए कि कांग्रेस का इस पार्टी से नामांकन भरने के अंतिम समय तक गठबंधन नहीं हुआ था। इन तीनों ही सीटों पर कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। इनके अलावा बाड़मेर सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी रविन्द्र सिंह भाटी ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराते हुए मुकाबले को त्रिकोणीय बना रखा है। यहां भी बीजेपी-कांग्रेस और निर्दलीय भाटी के बीच मुकाबला कांटे का है। मुकाबले वाली चार अन्य सीटों की बात करें तो उनमें झुंझुनूं, चूरू, कोटा और दौसा शामिल हैं।
चूरू में टिकट कटने से नाराज होकर मौजूदा सांसद राहुल कांग्रेस में चले गए थे। कांग्रेस ने उनको चुनाव मैदान में उतार दिया। वहीं कोटा में भी टिकट नहीं मिलने से बीजेपी के प्रहलाद गुंजल कांग्रेस में चले गए थे। कांग्रेस ने उनको भी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के खिलाफ मैदान में उतार दिया। वहीं झुंझनूं में बीजेपी ने शुभकरण चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा उसके कोर वोटर का एक वर्ग नाखुश नजर आया। कांग्रेस ने वहां से अपने विधायक बृजेन्द्र ओला को चुनाव मैदान में उतारा। ओला के पिता शीशराम ओला वहां से कई बार सांसद रह चुके हैं। झुंझुनूं कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। लिहाजा कांग्रेस की उम्मीदें वहां भी जवां हैं। दौसा गुर्जर-मीणा बाहुल्य इलाका है. यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट का प्रभाव ज्यादा है। दौसा से सचिन पायलट से पहले उनके राजेश पायलट और मां रमा पायलट भी सांसद रह चुकी हैं।