राजस्थान न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षण में अग्रणी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दूरगामी सोच और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के नेतृत्व में पर्यावरणीय संतुलन और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण देने के प्रयासों के तहत शिक्षा विभाग ने 28 जुलाई को प्रदेशभर के 65,852 विद्यालयों में एक ही दिन में 18,38,424 दुर्लभ, विलुप्तप्राय एवं संकटग्रस्त प्रजातियों के पौधे लगाकर एक ऐतिहासिक विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया गया। गौरतलब है कि यह उपलब्धि ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन’ में दर्ज की जा रही है, जिसका प्रमाण-पत्र शीघ्र ही राजस्थान सरकार को प्रदान किया जाएगा।
इस अभियान का प्रारंभिक लक्ष्य चार लाख पौधे लगाने का था, लेकिन शिक्षा विभाग ने उससे चार गुना अधिक पौधे लगाकर इतिहास रच दिया। जिसके तहत बाड़मेर (1,44,278), जयपुर (1,18,619), जालोर (1,13,387) और बीकानेर (1,04,711) जैसे जिलों ने पौधारोपण में अग्रणी भूमिका निभाई। पौधारोपण में खेजड़ी के 5,88,680, जाल खारा/पीलू के 2,57,998, जाल मीठा/पीलू के 2,59,250, रोहिड़ा के 3,31,367 और फोग के 2,28,210 पौधे शामिल हैं।
यह महाअभियान केवल पौधे लगाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और विभागीय अधिकारियों की सामूहिक भागीदारी और जागरूकता का प्रतीक बन गया। विद्यालयों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की भावना को जमीनी स्तर पर प्रसारित कर, शिक्षा विभाग ने बच्चों को प्रकृति से जुड़ने, परंपरागत ज्ञान को पुनर्जीवित करने और सामूहिक उत्तरदायित्व का बोध कराने का कार्य किया।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इसे एक अनूठी पहल बताते हुए विलुप्त हो रही वनस्पतियों के संरक्षण में उल्लेखनीय प्रयास करार दिया। वहीं शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं शिक्षा विभाग के समर्पित अधिकारियों-कर्मचारियों को बधाई दी। शिक्षा के साथ हरियाली का यह संगम राजस्थान को न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से समृद्ध करेगा, बल्कि नई पीढ़ी में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व का भाव भी विकसित करेगा।
यह अभियान लुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि है, बल्कि विद्यार्थियों और समुदाय को भी प्रकृति के प्रति जागरूक करने का माध्यम है।
यह महाअभियान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को प्रकृति से जोड़ना, परंपरागत ज्ञान को पुनर्जीवित करना तथा सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना है। इसके माध्यम से राजस्थान की विलुप्तप्राय स्थानीय प्रजातियों — जैसे खेजड़ी, फोग, जाल एवं रोहिडा के संरक्षण एवं उनके प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाया गया है।
प्रदेश के सभी 41 जिलों में योजनाबद्ध तरीके से वृक्षारोपण अभियान चलाकर यह रिकॉर्ड बनाया गया है। यह वृक्षारोपण अभियान हरियाली तीज के दूसरे दिन अवसर पर संपन्न किया गया और इसका रिकॉर्ड वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन को भेजा गया है। जल्द ही राजस्थान सरकार को इसका प्रमाणपत्र प्राप्त होगा।