राजस्थान की गौरवशाली भूमि से निकलकर पूरी दुनिया में अध्यात्म, योग और मानसिक स्वास्थ्य का संदेश फैलाने वाले युवा संत डॉ. ईशान शिवानंद आज एक वैश्विक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। हाल ही में उनकी पुस्तक “दि प्रैक्टिस ऑफ इम्मॉर्टैलिटी” (The Practice of Immortality) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अमेज़न इंडिया पर अपने सेगमेंट में नंबर वन स्थान पर पहुंच गई है। यह पुस्तक न केवल साहित्यिक सफलता है, बल्कि आधुनिक समाज की मानसिक और आध्यात्मिक जरूरतों का समाधान भी प्रस्तुत करती है
डॉ. शिवानंद ने इस पुस्तक के माध्यम से प्राचीन वैदिक ज्ञान और आधुनिक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत समन्वय किया है। वे बताते हैं कि वास्तविक अमरत्व मृत्यु से बचने में नहीं, बल्कि भय, पीड़ा और सीमाओं को पार करके आत्मिक ऊर्जा को जागृत करने में है, "दि प्रैक्टिस ऑफ इम्मॉर्टैलिटी" को डॉ. शिवानंद एक “डोरवे टू ट्रांसफॉर्मेशन” कहते हैं। यह पुस्तक पाठकों को आत्मचिंतन के लिए आमंत्रित करती है, उन्हें अपनी सुप्त क्षमताओं को जगाने और अनंत ऊर्जा स्रोत से जुड़ने का मार्ग दिखाती है।
पुस्तक में उन्होंने वे प्राचीन साधनाएँ साझा की हैं, जो कभी केवल उन्नत साधकों तक सीमित थीं। इनमें नाद साधना (ध्वनि ध्यान), ऊर्जा शुद्धि, और गहन ध्यान तकनीकें शामिल हैं। इन अभ्यासों के माध्यम से व्यक्ति तनाव और असंतुलन से बाहर निकलकर शांति, संतुलन और उद्देश्यपूर्ण जीवन पा सकता है। प्रत्येक अध्याय में व्यावहारिक कदम बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति भावनात्मक उपचार और आंतरिक साधना की ओर अग्रसर हो सकता है।
डॉ. ईशान शिवानंद को मानसिक स्वास्थ्य और ध्यान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका की कांग्रेस और वाइट हाउस से लेकर गूगल, अमेज़न और फेसबुक जैसी वैश्विक कंपनियों ने भी उनके विचारों और प्रशिक्षण को अपनाया है। अमेरिका और कनाडा में तो “ईशान शिवानंद दिवस” तक घोषित किया गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि उनकी शिक्षाओं ने सीमाओं से परे जाकर विश्वभर के लोगों पर गहरा प्रभाव डाला है।
राजस्थान की परंपराओं और आध्यात्मिक धरोहर में पले-बढ़े डॉ. शिवानंद कहते हैं – “राजस्थान ने मुझे मेरी जड़ों से जोड़े रखा और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। मेरी हर उपलब्धि इस पावन भूमि का आशीर्वाद है।” वहीं, राजस्थान की इसी मिट्टी से निकले इस युवा संत ने योग और ध्यान के जरिए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दी है।
“दि प्रैक्टिस ऑफ इम्मॉर्टैलिटी” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। यह याद दिलाती है कि जब प्राचीन ज्ञान को आधुनिक दृष्टिकोण और सरल भाषा में प्रस्तुत किया जाए, तो वह न केवल व्यक्ति को बल्कि पूरे समाज को बदलने की क्षमता रखता है, डॉ. शिवानंद का मानना है कि आज की भागदौड़ भरी और तनावपूर्ण दुनिया में सच्चा समाधान बाहर नहीं, भीतर की ओर देखने में है। यही कारण है कि उनकी पुस्तक पाठकों के बीच इतनी लोकप्रिय हो रही है, आज जब दुनिया मानसिक स्वास्थ्य और शांति की खोज में है, डॉ. ईशान शिवानंद की यह पुस्तक एक दीपस्तंभ की तरह मार्गदर्शन कर रही है। “दि प्रैक्टिस ऑफ इम्मॉर्टैलिटी” का अमेज़न पर नंबर वन बनना इस बात का संकेत है कि अध्यात्म और ध्यान की यह धारा अब वैश्विक जनचेतना का हिस्सा बन चुकी है।