राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि दुनिया में वही पूज्य होता है, जो जनकल्याण के लिए कार्य करता है। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव जी ने जीवनभर गरीबों एवं वंचितों की सेवा की और सभी मानवों की समानता में विश्वास रखा। बाबा के अनुयायी देशभर के विभिन्न राज्यों सहित पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र से भी श्रद्धा के साथ यहां पहुंचते हैं। मुसलमान उन्हें रामसा पीर के रूप में पूजते हैं, यह समरसता और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सोमवार को रामदेवरा में सक्षम संस्था द्वारा आयोजित बाबा रामदेव नेत्र कुंभ 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन हमारी आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ मानव सेवा और करुणा का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में सेवा को सर्वाेच्च स्थान प्राप्त है और यह नेत्र कुंभ उसी सेवा भाव का जीवंत प्रतीक है। राज्यपाल ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि यह शिविर वंचित, जरूरतमंद एवं दृष्टिबाधित लोगों के जीवन में नई रोशनी लाने का पुण्य कार्य कर रहा है।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि आँखें ईश्वर का अनमोल उपहार हैं, जो जीवन को देखने और उसे पूर्णता से जीने की शक्ति देती हैं। उन्होंने नेत्र कुंभ जैसे आयोजनों को समाज सेवा का सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि भारत में 50 वर्ष से अधिक आयु के 1.99ः लोग अंधेपन से पीड़ित हैं, जबकि 66.2ः लोग मोतियाबिंद जैसी गंभीर नेत्र समस्याओं से ग्रसित हैं। ऐसे में रामदेवरा में सक्षम संस्था द्वारा आयोजित नेत्र कुंभ एक ऐतिहासिक व सराहनीय पहल है, जो जागरूकता और उपचार दोनों का सशक्त माध्यम बन रही है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि नेत्र कुंभ केवल नेत्र जांच या चश्मे वितरण तक सीमित नहीं, बल्कि यह उन जरूरतमंदों के जीवन में रोशनी लाने का संकल्प है, जो नेत्र चिकित्सा से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि एक माह से अधिक चलने वाले इस शिविर से लाखों लोगों को लाभ मिला है, जो इसकी अभूतपूर्व सफलता को दर्शाता है।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने नेत्र कुंभ शिविर का अवलोकन किया। इस अवसर पर उन्होंने शिविर में की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने मरीजों को अपने हाथों से चश्मा पहनाया एवं उपचार के लिए आए मरीजों से संवाद कर उनकी समस्याएं और अनुभव जाने। राज्यपाल ने शिविर में उपलब्ध करवाई जा रही चिकित्सा सुविधाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह शिविर सेवा, करुणा और मानवता का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास समाज के उन वर्गों तक रोशनी पहुंचाते हैं, जो आर्थिक या भौगोलिक कारणों से समुचित चिकित्सा सुविधा से वंचित रह जाते हैं।