वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने राजसमन्द जिला कलेक्ट्रेट सभागार में वन एवं पर्यावरण संबंधी बजट घोषणाओं और गतिविधियों की विस्तार से समीक्षा की। बैठक में वन मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि आज भी हमारे वन रक्षक भाई-बहन कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हुए वनों का संरक्षण करते हैं। उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिए कि जिलेभर में वन कर्मियों की चौकियों और नाकों का निरीक्षण करें। जहां भी चौकी और नाका भवन के निर्माण भी जरूरत हो उसके प्रस्ताव भेजें। कहीं भी जर्जर भवन में चौकी या नाके संचालित न हो। सरकार इसे लेकर पूरी तरह गंभीर है।
वन मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार वन क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है, जहां भी सख्ती करने की जरूरत हो वहाँ सख्ती करें। कहा कि वे भविष्य में स्वयं औचक निरीक्षण करने भी आ सकते हैं, ऐसे में सभी अधिकारी तत्परता से कार्य करें, पूर्ण निष्ठा के साथ वन संरक्षण का कार्य करें। उन्होंने कहा कि वन विभाग के तंत्र को निरंतर राज्य सरकार द्वारा सुदृढ़ किया जा रहा है, साथ ही हर शिकायत को भी गंभीरता से लिया जा रहा है।
बैठक में डीसीएफ कस्तूरी प्रशांत सुले ने वन मण्डल का विस्तार से परिचय दिया। इसके पश्चात टोड़गढ़-रावली के इको सेंसेटिव जॉन के लिए मास्टर प्लान, प्रे बेस में वृद्धि, लवकुश वाटिका झीलवाड़ा एवं नाथद्वारा, ग्रीन लंग डेवेलपमेंट, पक्षी घर, लेपर्ड कंजर्वेशन, गत वर्षों में किए गए पौधारोपण की स्थिति सहित कुंभलगढ़ में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व आदि की विस्तार से समीक्षा की।
डीसीएफ सुले ने वंदे गंगा अभियान की प्रगति, हरियालो राजस्थान के तहत पौधारोपण के लिए मिले लक्ष्य और अब तक हुए पौधारोपण एवं पौध वितरण, बिनोल में आयोजित हुए हरियालो राजस्थान के जिला स्तरीय कार्यक्रम आदि की जानकारी की। मंत्री शर्मा ने पुलिस लाइन में बन रहे मातृ वन एवं वन मित्रों को लेकर भी प्रगति जानी।
इसके साथ-साथ उन्होंने अतिक्रमण पर कार्रवाई, कैम्पा योजना, वन अग्नि पर नियंत्रण, वन अग्नि वॉच टावर, वाइल्ड लाइफ सेंसस आदि की जानकारी। डीसीएफ कस्तूरी प्रशांत सुले ने बताया कि जुलाई 2024 से अब तक गत एक वर्ष में 73 वन्य जीवों को रेस्क्यू किया गया है। इसके पश्चात मंत्री संजय शर्मा ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी अशोक जेलिया से सिंगल यूज प्लास्टिक पर नियंत्रण एवं पौध वितरण की समीक्षा की। साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों में जल निकासी से भूमिगत जल पर पड़ रहे दुष्प्रभावों की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ताकि ग्रामीणों को स्वच्छ जल उपलब्ध हो सके।