उदयपुर में पीएम श्री विद्यालय के निर्माणाधीन भवन का एक हिस्सा गिरने की घटना ने राजस्थान के शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हादसे के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने विभागीय लापरवाही को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं।
मंत्री ने साफ किया कि अब शिक्षक और अन्य गैर-तकनीकी कार्मिकों को सहायक अभियंता (AE) या कनिष्ठ अभियंता (JE) जैसे तकनीकी पदों पर तैनात नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य केवल योग्य अभियंताओं की देखरेख में ही संभव है।
शिक्षा मंत्री ने राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा डॉ. अनुपमा जोरवाल को निर्देश दिया है कि अब किसी भी निर्माण कार्य का भुगतान तभी होगा जब वह थर्ड पार्टी निरीक्षण से प्रमाणित होगा। इसके लिए टेंडर शर्तों में संशोधन कर प्रावधान जोड़ा जाएगा कि ठेकेदार को भुगतान केवल संतोषजनक रिपोर्ट के बाद ही मिलेगा।
निरीक्षण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक विशेष पैनल तैयार किया जाएगा। इसमें से किसी भी तीन अधिकारियों को निरीक्षण के लिए नियुक्त किया जाएगा, ताकि गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
उदयपुर हादसे के बाद उठाए गए इन कदमों से स्पष्ट है कि राजस्थान सरकार अब विद्यालय भवनों और शिक्षा से जुड़े अन्य निर्माण कार्यों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी।