5 राज्यों में चुनाव होने वाले है। सब तरफ तैयारियां भी है और नेता जनता को विपक्ष की पार्टी को लेकर मुद्दे भुनाने में भी लगे है। अब चुनाव होने से पहले प्रचार भी आपने सुना है। नियम भी आपने देखे होंगे। अलग-अलग तरह की चुनाव आयोग द्वारा सख्ती भी आपने देखी होगी। कहीं पैसे पकड़े गए कहीं शराब पकड़ी गई। कभी वीडियो सामने आते है कि चुनावी रैली के बाद जनता को नोट बांटे जा रहे है। कभी कुछ होता है और कभी कुछ। इसी समय अपने एक शब्द भी सुना होगा कि Code of Conduct यानी आचार संहिता लग गई है अब किसी तरह का कुछ काम नही होगा। तो जानते है आचार संहिता के बारे में।
चुनाव के समय आचार संहिता यानी Code of Conduct लागू की जाती है जिसे चुनाव आचार संहिता भी कहते है, अधिकतर लोगों को आचार संहिता के विषय में जानकारी नहीं होती है, जिससे वह इसका उलंघन करते है। भारत में जब भी चुनाव का आयोजन होता है, वहां पर आदर्श आचार संहिता यानि Model Code of Conduct को लगाया जाता है और चुनाव की तारीखों के साथ ही इसकी घोषणा कर दी जाती है। यह नतीजे आने तक जारी रहती है। आचार संहिता के समय राजनीतिक दलों और राजनेताओं को कुछ विशेष और सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है।
Read More >>> राजे, सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान हुए CM रेस से बाहर
आचार संहिता लगने के बाद व्यापक धाराओं से दंगे व झगड़े जो चुनावी माहौल में बहुत ही आम बात है उनको नियंत्रण में कर लिया जाता है। इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया (ECI) मॉडल कॉड ऑफ़ कंडक्ट के नियमो को बड़ी सख्ती से पालन कराता है और किसी भी प्रकार की अनियमितता देखने पर तुरंत कार्यवाही करने का आदेश उस क्षेत्र के अधिकारी को देता है। यह सुनिश्चित भी करता है कि चुनाव सही प्रकार से सम्पन्न हो।
आचार संहिता को भारतीय चुनावों का सबसे महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। आचार संहिता चुनाव समिति द्वारा बनाया गया वो दिशा-निर्देश होता है, जिसे सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना अनिवार्य है। आचार संहिता का अर्थ उन नियमों से है जो उस समय अस्तित्व में आते है और उनके द्वारा ही पार्टियों की कार्यप्रणाली पर नज़र रखी जाती है।
*राजनीतिक दलों के आचरण और क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक (Observer) नियुक्त करता है।
*चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
*मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए किसी भी तरह की सरकारी घोषणाओं, लोकार्पण, शिलान्यास पर रोक लगा दी जाती है।
*पुलिस की अनुमति के बिना कोई भी राजनीतिक रैली नहीं की जा सकती है।
*आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन के प्रयोग पर रोक लगा दी जाती है।
*आचार संहिता लगने पर धर्म के नाम पर वोट की मांग नहीं की जा सकती है।
Also Read >>> वसुंधरा नही तो कौन होगा राजस्थान का पालनहार... !
आपको बता दे चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग के द्वारा की जाती है, इसके साथ ही आचार संहिता लागू कर दी जाती और यह चुनाव के परिणाम के साथ ही समाप्त हो जाती है। चुनाव के शुरू होने से पहले यह ECI द्वारा चुनावी क्षेत्र में लगा दी जाती है। लेकिन, आचार संहिता के नाम पर कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि मंत्री जनता के कामों को करने से मना कर देते हैं और कारण बताते हैं, आचार संहिता लागू है।
आचार संहिता का उद्देश्य पार्टियों के बीच मतभेद टालने, शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव कराना होता है। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी, केंद्रीय या राज्य की अपने आधिकारिक पदों का चुनावों में लाभ लेने हेतु गलत प्रयोग न कर सके और जनता को आकर्षण में ना ले सके। इस प्रकार मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का माध्यम से चुनाव का समापन उचित प्रकार से करा लिया जाता है।
आपको हमारी स्टोरी कैसी लगी कॉमेंट करके जरूर बताएं और लाइक शेयर जरूर करें।