मणिपुर में करीब 5 महीने से जातीय हिंसा जारी है। इसी बीच मणिपुर हिंसा को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बड़ी जानकारी दी है। NIA की जांच में पता चला है कि मणिपुर में हमले और जातीय हिंसा भड़काने के पीछे म्यांमार के कुछ प्रतिबंधित आतंकी संगठनों का हाथ है।
जानकारी के मुताबिक ये संगठन मणिपुर में सुरक्षा बलों और विरोधी जातीय समूहों के सदस्यों पर हमला करने के लिए कार्यकर्ताओं की भर्ती कर रहे हैं।
मणिपुर में लगभग पांच महीनों से जारी हिंसा के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि वे म्यांमार के आतंकी संगठनों द्वारा मणिपुर में मौजूदा अशांति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश रच रहे है।
आगे प्रवक्ता ने बताया कि म्यांमार स्थित ये लीडरशिप गैरकानूनी तरीकों से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक इकट्ठा कर रहा है। सरकारी सुविधाओं और संसाधनों की लूट भी इसी का हिस्सा बताई जा रही है।
मणिपुर के अलगाववादी समूह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक सदस्य मोइरांगथेम आनंद सिंह को 22 सितंबर को जमानत मिली थी। इसके कुछ घंटे बाद ही उसे NIA ने अरेस्ट कर लिया था। 23 सितंबर को उसे दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। जिसके बाद कोर्ट ने उसे पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा है।
NIA के प्रवक्ता ने बताया कि मोइरांगथेम सिंह को म्यांमार स्थित आतंकी संगठनों की अंतरराष्ट्रीय साजिश से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया है। उनका मकसद कथित तौर पर मणिपुर में जातीय अशांति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के खिलाफ जंग छेड़ना है। ये मामला दिल्ली में 19 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर NIA ने ही दर्ज किया था। आपको बता दे कि मोइरांगथेम सिंह को 16 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था।
मणिपुर हिंसा शुरू होने के बाद ये दूसरा केस है। जिसकी जांच NIA कर रही है। बाकी केस CBI को हैंडओवर कर दीए गए है।
गौरतलब है कि राज्य में मई के महीने से जातीय हिंसा जारी है। राज्य में इस साल 3 मई को मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़की थी। जो अब भी जारी है। वही आपको बता दे की 2 दिन पहले ही मणिपुर सरकार ने राज्य में चार महीने से बंद इंटरनेट सर्विस को बहाल किया है।