वो दिन कैसा होता है जब हम कल्पना करते हैं। क्या आपको पता है कि 150 साल पहले की गई एक कल्पना ने एक बुलंद और खुबसूरत शहर की नींव रखी। जब शहर की नींव रखी तो यह उस कल्पना से बहुत परे था। वो कल्पना क्या थी ? वो कल्पना थी एक शहर को बसाने की। खुबसूरत बनाने की और उस शहर को कामयाब बनाने की, कि ये शहर कैसा होगा। जहां हमें ताउम्र बसना है, जहां आने वाली पीढ़ी को पैदा होना है, शहर की चारदीवारी में बचपन को बिताना है और इस बचपन में उस शहर की सभी यादों को समेट लेना है कि वो शहर मेरा शहर।
किसी ने बड़े कमाल की बात कही है कि इस शहर के दर पर आता हूँ तो कुछ और होता हूं और इस शहर में वक्त बिताने के बाद जब जाता हूँ तो कुछ और ही होता हूँ। वो शहर है जयपुर, हमारी गुलाबी नगरी। जिसकी स्थापना आज ही के दिन 18 नवंबर 1727 को कच्छावा वंश के राजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने की।
इस शहर की स्थापना भी वास्तु शास्त्र को मद्देनजर रखते हुए की गई। इसमें बंगाल के वास्तुशास्त्र विद्याधर भट्टाचार्य का अहम योगदान है। यह भारत देश का पहला शहर बना जिसका निर्माण वास्तुशास्त्र और अंक 9 की तर्ज पर हुआ। अंक 9 का मतलब नवग्रह के योग से हैं।
पधारो यह एक शब्द ही नहीं, अपने आप में एक पूरा वाक्य है जो इस शहर का निमंत्रण देता है। इस शहर की स्थापना के साथ ही पधारो शब्द का भी जन्म हुआ। गुलाबी नगरी 1875 में सवाई रामसिंह के रंगने पर हुई तभी से लेकर आज तक इस शहर को पहले गुलाबी नगरी फिर जयपुर कहा जाता है। इस शहर में काफी ऐसी धरोहर और ऐतिहासिक स्मृतियाँ है जो अपनेपन का अहसास करवाती है। इस शहर की चारदीवारी में बसे लोग आज भी अपने आराध्य गोविंद देव जी के दर्शन करके ही अपना कार्य शुरू करते हैं और अन्न का निवाला लेते हैं। हिंदुस्तान देश सुनहरा है और जयपुर शहर प्यार से भरा हमारा है।
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इस शहर के बारे में जितना जानो उतना कम है। कहते हैं वक़्त कभी किसी के लिए नहीं रुकता पर किस्मत बदलती ज़रूर है। इस शहर ने लोगों की किस्मत ही बदली है। यह शहर बसने के बाद कभी रुका नहीं। प्रधानमंत्री मिर्ज़ा स्माइल के नाम पर जयपुर में मिर्ज़ा स्माइल रोड़ का नाम पड़ा जिसे आज लोग एम् आई रोड कहते हैं। इस शहर में हवामहल, जंतर–मंतर, सिटी पैलेस, आमेर का किला, नाहरगढ़ फोर्ट और जयगढ़ की तोप जो विश्व की सबसे बड़ी तोप है। इन जगहों को देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक और सैलानियों का जमावड़ा हमेशा लगा रहता है।
यहां यदि व्यंजनों की बात करें तो यहां के खाने की बात ही कुछ और है। कहते हैं दाल बाटी चूरमा, जयपुर शहर सुरमा। लो देखों, नाम लिया और मुंह में पानी आ गया। यहां के लोगों की जीवन शैली और स्वभाव किसी को भी अपने रंग में रंगती है।
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इस शहर के लोगों ने भारत देश का नाम कई देशों में रोशन किया है और हिंदुस्तान का तिरंगा लहराया है। इसलिए तो कहते हैं यह देश तिरंगा है मेरा जयपुर शहर तिरंगा है। आज आप लोगों को इस शहर की एक राज की बात बताता हूँ...
यह जयपुर शहर बहुत खुबसूरत है।