डीपफेक के बारे में तो आपने सुना ही होगा। इन दिनों डीपफेक चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में डीपफेक के मामले में सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा देखे जा रहे हैं। जिसका शिकार आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटी तक हो रहे हैं।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही फिल्म एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक का मामला सामने आया था जो AI के जरिए बनाया गया था। उसके बाद कैटरीना कैफ की फोटो, सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर और उनके रूमर्स बॉयफ्रेंड शुभमन गिल की एक फोटो भी वायरल हुई थी और ऐसे ही काजोल का भी एक वीडियो वायरल हुआ था। ऐसे ही कई लोगो के डीपफेक सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं।
वहीं, अब डीपफेक के बढ़ते मामलों को देख कर सरकार ने इस पर नियम बनाने की तैयारी कर ली है। दरअसल, केंद्र सरकार ने गुरूवार को डीपफेक को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कंपनियों के साथ मीटिंग की। जिसमें गूगल, फेसबुक, यूट्यूब समेत कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शामिल हुए थे।
चलिए बताते हैं आपको कि क्या होता है डीपफेक और इस मीटिंग में क्या कुछ हुआ...
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'डीपफेक' में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का इस्तेमाल करते हुए किसी तस्वीर या विडियो में मौजूद व्यक्ति की जगह किसी दूसरे को दिखा दिया जाता है। इसमें इतनी समानता होती है कि असली और नकली में अंतर करना काफी मुश्किल हो जाता है। किसी और का चेहरा इस्तेमाल किया जाता है और उसको फेक तरीके से वायरल किया जाता है। गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कंपनियों के साथ हुई मीटिंग में 4 मुद्दों पर बात हुई और जोर डाला गया, वो चार मुद्दे थे...
इस बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डीपफेक लोकतंत्र के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। लोगों की साख खतरे में आ सकती है इसलिए इसके खिलाफ तुरंत कदम उठाया जाएगा और नियम तय किये जाएंगे। इस बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डीपफेक लोकतंत्र के लिए बड़े खतरे की तरह है।
इसलिए इसके खिलाफ तुरंत कदम उठाया जाएगा और नियम तय किये जाएंगे। डीपफेक के मुद्दे पर सोशल मीडिया कंपनियों के साथ बैठक के बाद आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि हम सभी इस बात पर सहमत करते हैं कि सरकार जल्द ही डीपफेक के खिलाफ स्पष्ट और कार्रवाई योग्य कानून लेकर आएगी।
टेक कंपनियों ने कहा है कि डीपफेक को फ्री स्पीच समझ के नहीं छोड़ा जा सकता, यह पब्लिक के लिए नुकसान दायक है। जो लोगों की इमेज खराब करती है।
सबसे पहले कंटेंट वेरीफाई टूल का होना अनिवार्य है। अगर ये फिचर होगा तो कंटेंट वेरीफाई होगा, ये असली है या नकली। दूसरा 36 घंटे के भीतर फेक विडियो नहीं हटाया गया प्लेटफार्म से तो इंटरमीडिएट की सुविधा खत्म हो जाएगी जो उसे आईटी एक्ट के तहत मिली है। तीसरा, सहायक ऐप की उपलब्धता पर रोक हो जो फेक और डीपफेक वीडियो तैयार करती है। ये इजीली गूगल और प्ले स्टोर पर उपलब्ध ना हो।
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इस मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि अगली मीटिंग दिसंबर के पहले वीक में होगी और सरकार उन मुद्दों पर की गई अनुवर्ती कार्रवाई का जायजा लेगी। जिन पर गुरुवार को चर्चा हुई थी।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों और प्लेटफार्मों ने सरकार को आश्वासन दिया है कि तब तक वे अपनी नीतियों और दिशानिर्देशों के अनुसार डीपफेक से निपटने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। वहीं मंत्री ने जोर देकर कहा कि जवाबदेही डीपफेक बनाने वालों और उन्हें होस्ट करने वाले प्लेटफार्मों दोनों की होगी और सरकार डीपफेक बनाने वालों रचनाकारों और प्लेटफार्मों के लिए जुर्माने को लेकर भी गौर करेगी।