मतदान का दिन जैसे जैसे पास आता जा रहा है लोकसभा चुनाव की तपिश भी बढ़ती जा रही है, देश में चार शब्दों का एक नारा कानों में गूंज रहा है, आप समझ तो गए ही होंगे यहां बात कौनसे नारे की हो रही है, जी हां "अबकी बार 400 पार" , लेकिन अपने आप को मजबूर बताकर चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस कमजोर तो कतई ही नजर नहीं आ रही है
बात करें राजस्थान की तो राजस्थान में 25 लोकसभा सीट हैं और पिछले 10 सालों से मोदी के चेहरे पर राजस्थान भाजपा का गढ़ बना हुआ है, पिछले 10 सालों में ना केन्द्र की सरकार बदली और ना ही चुनाव लड़ने वाला चेहरा एक बार फिर से मोदी के चेहरे पर देश में चुनाव लड़ा जा रहा है,
राजस्थान की 25 में से एक सीट टिकट वितरण के साथ ही काफी चर्चाओं में रही.. आप समझ ही गये होंगे यहां किस सीट की बात हो रही है, हम बात कर रहे हैं जयपुर शहर सीट की जहां कांग्रेस को टिकट की घोषणा के चौथे दिन ही अपने उम्मीदवार को बदलना पड़ गया था, सुनील शर्मा विवादों के चलते मैदान से पीछे हटे तो विधानसभा चुनाव में नये चेहरे से हार झेलने वाले पूर्व सरकार के कद्दावर नेता और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने हिम्मत दिखाई और मैदान में कूद पड़े
जयपुर लोकसभा सीट जिसको भाजपा का अभेद किला भी कहा जाता है अब आपको थोड़ा इतिहास के बारे में बताते हैं कि सन 1989 से लेकर 2019 तक जयपुर लोकसभा सीट पर भाजपा अपना परचम लहराती आ रही है, हांलाकि 2009 के चुनाव में कांग्रेस के महेश जोशी बाजी मारते नजर आए थे लेकिन 2014 में फिर से मोदी लहर आने के कारण बीजेपी के रामचरण बोहरा लगातार दो बार सांसद बने और पिछले चुनाव में 9 लाख 24 हजार 65 वोट लेकर जयपुर लोकसभा सीट के सांसद बने
2019 के चुनाव में इतनी बड़ी जीत हासिल करने वाले रामचरण बोहरा पर इस बार बीजेपी ने भरोसा नहीं जताया, और जयपुर शहर सीट से ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला, बीजेपी ने जयपुर लोकसभा सीट से मंजू शर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है आपको बता दे मंजू शर्मा बीजेपी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता भंवरलाल शर्मा की बेटी है भंवरलाल बीजेपी पार्टी से कई बार विधायक रह चुके हैं अब पार्टी ने उनकी बेटी पर विश्वास जताया है कहा जाता है कि पीएम मोदी की पसंद पर मंजू शर्मा को टिकट दिया गया है इस वजह से रामचरण बोहरा का टिकट काटा गया
मंजू शर्मा मौजूदा समय में राजस्थान महिला प्रवासी अभियान की जयपुर प्रभारी है वह पार्टी से काफी समय से जुड़ी हुई है 64 वर्षीय मंजू शर्मा बीजेपी की पूर्व महिला मोर्चा प्रदेश महामंत्री भी रह चुकी है और जयपुर शहर की स्थानीय निवासी है इसी वजह से अन्य महिलाओं के नाम की जगह मंजू शर्मा पर दांव खेला गया है
अब बात करें कांग्रेस पार्टी की तो कांग्रेस पार्टी ने जयपुर लोकसभा सीट से सुनील शर्मा को लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन अभी सीट पर चेहरा बदलते हुए कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के नाम का ऐलान किया है, सोशल मीडिया पर ट्रोल होने और नाराजगी के चलते सुनील शर्मा के टिकट कटने की वजह सामने आई थी, हालांकि सुनील शर्मा का टिकट कटने के पर्दे के पीछे की कहानी से सभी वाकिफ है,
आपको बता दें कि प्रताप सिंह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं राजपूत समुदाय से आने वाले खाचरियावास पूर्व उपराष्ट्रपति भैरव सिंह शेखावत के भतीजे हैं और आपको बता दें कि प्रताप सिंह ने भी अपना सियासी सफर बीजेपी से शुरू किया था और राजस्थान में भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और एक समय ऐसा भी था कि खाचरियावास वसुंधरा राजे के भी करीबी माने जाते थे लेकिन सन 2004 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया
जयपुर शहर सीट पर बात की चुनावी समीकरण की लेकिन जब तक जातीय समीकरण की बात ना हो तो बात अधूरी सी लगती है, जयपुर शहर सीट पर मतदाताओं की संख्या की बात की जाए तो ये संख्या करीब 22 लाख से ज्यादा की है, जयपुर शहर सीट पर जातीय समीकरण थोड़े उधेड़बून वाले नजर आते हैं, किसी एक जाति का दबदबा इस सीट पर नजर नहीं आता है, लेकिन ब्राह्मण, राजपूत और जाट समुदाय जीत हात में एक बड़ा रोल अदा करते हुए नजर आते हैं, इसके साथ ही एससी, एसटी और अल्पसंख्यक वोट बीजेपी खेमे की चिंता बढ़ा सकते हैं