लगभग 96 साल पहले जिस इमारत का निर्माण हुआ। 144 खंभों पर खड़ी वो गोल सी एक इमारत, जिसने हिंदुस्तान की इबारत लिखी। जिसे अंग्रेजो ने बनवाया। जिस इमारत में हमारे देश के सविधान का निर्माण हुआ । जहां संविधान की हर आयतों के लिए दिनों-दिन बहसें हुईं।
हम आपको बता रहे है संसद भवन की। जो अब इतिहास बनने जा रहा है। दरअसल 18 सितम्बर से संसद के विशेष सत्र की शुरूआत पुराने संसद में हुई, लेकिन कल यानी 19 सितम्बर को नए संसद भवन में प्रवेश होगा और फिर वही से नियमित कामकाज शुरू होगा। 96 साल के लंबे इतिहास में यह संसद भवन कई घटनाओं का गवाह रहा है। आइए जानते हैं वो घटनाएं कौन सी थीं।
भारत के संविधान का निर्माण भी इसी संसद भवन में हुआ था। 26 जनवरी 1950 में जब देश का संविधान लागू हुआ और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति का पद संभाला। बता दें कि 18 जनवरी 1927 को गवर्नर-जनरल की कार्यकारी परिषद के सदस्य, उद्योग और श्रम विभाग के प्रभारी, सर भूपेन्द्र नाथ मित्रा ने भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था।
पुराने संसद भवन ने साल 1991 से 1998 के बीच 5 प्रधानमंत्रियों को देखा। 21 जून 1991 को पी. वी. नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने। 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनकर सदन पहुंचे। उनकी सरकार सिर्फ 16 दिन ही चल पाई। इसके बाद 1 जून साल 1996 को एचडी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री बने। देवगौड़ा 21 अप्रैल 1997 तक पीएम रहे। 21 अप्रैल 1997 को इंद्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री बनकर सदन पहुंचे। इसके बाद 19 मार्च 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी फिर प्रधानमंत्री बनकर संसद पहुंचे।
प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए 3 प्रधानमंत्रियों का निधन हुआ। इनमें जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के नाम शामिल हैं। 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनका निधन हो गया। इसके बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन ताशकंद में 11 जनवरी 1966 को हुआ। उसके बाद इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या कर दी गई।