हृदयांश, आप लोग सोच रहे होंगे यह नाम तो कहीं सुना हुआ लगता है, तो आपने ठीक सुना है यह वही बच्चा है जो एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है बीमारी का नाम स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी है, जो की एक जन्मजाति बीमारी है, और उसका इलाज दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन है, और उस इंजेक्शन की कीमत है 17.5 करोड रुपए, लेकिन कहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, आज यानी 14 मई को 17.5 करोड रुपए का सबसे महंगा इंजेक्शन जयपुर लाया गया अब इस परिवार में भी खुशियों की लहर फिर से आएगी, और इस इंजेक्शन की वजह से इस मासूम को एक नई जिंदगी मिलेगी|
3 अगस्त 2022 को हृदयांश का जन्म हुआ था, हृदयांश के बाद से परिवार में खुशियों का माहौल था, उसके माता पिता का कहना है कि जहां बाकी बच्चे 6 महीने की उम्र में हंसने, खेलने कूदने ,उठने और बैठने लगते हैं वहीं हृदयांश 20 महीने के बाद भी घुटने के दम पर भी नहीं चल पाता था इसके बाद परिवार के लोगों की चिंताएं बढ़ने लगी और इसको लेकर हृदयांश को जयपुर में डॉक्टरों को दिखाया तो पहले कमजोरी बता कर डॉक्टर इलाज करते रहे, फिर जब हृदयांश को कोई फायदा नहीं मिला तो फॉर्टिस हॉस्पिटल में जांच करने के बाद पता चला कि उसे जेनेटिक बीमारी है, इस वजह से उसके पैरों में बिल्कुल भी जान नहीं है, और वह खड़ा भी नहीं हो सकता, हृदयांश को स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी है, जिसके इलाज के लिए जल गणेश में इंजेक्शन लगवाने की जरूरत है जो की दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन है,
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक जेनेटिक बीमारी है। इसके कारण हृदयांश का कमर से नीचे का हिस्सा बिल्कुल भी काम नहीं करता है। इस बीमारी का इलाज 24 महीने की उम्र तक ही किया जाता है। इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं हाेने पर यह पूरे शरीर में फैल जाती है। फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं। इससे जान का भी खतरा हाेता है। इसके लिए विदेश से विशेष प्रकार के इंजेक्शन की जरूरत होती है।
आज दोपहर में पेपर वर्क कंप्लीट करने के बाद जे के लोन अस्पताल में इंजेक्शन पहुंचा जिसे आज श्याम डॉ प्रियांशु माथुर ने बच्चे को लगाया, उन्होंने बताया अब हृदयांश 24 घंटे तक डॉ कि निगरानी में रहेगा, उसके बाद 2 महीनों तक मेडिकल ट्रीटमेंट चलने के बाद वो बाकि बच्चों कि तरह जीवन व्यतीत कर सकेगा |