हिंदू पंचांग में कुल मिलाकर साल में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है। जो माघ,चैत्र,आषाढ़ और आश्विन माह में आती है। वहीं आश्विन नवरात्र को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है । इस दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनकी उपासना की जाती है। इससे व्यक्ति को सभी संकट से छुटकारा मिल सकता है और कुंडली में स्थित 9 ग्रह दोष के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिल जाती है।
साथ ही, व्यक्ति का जीवन सुखमय रहता है। बता दें, इस बार शारदीय नवरात्रि का आरंभ दिनांक 15 अक्टूबर से हो रहा है और इसका समापन दिनांक 24 अक्टूबर को होगा।
नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों और अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने का विधान है। आज हम आपको मां दुर्गा के शस्त्रों का महत्व बताते है ।
नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों के साथ साथ ही अस्त्र-शस्त्रों की भी पूजा करने का विधान है। मां दुर्गा के अस्त्र-शस्त्र को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। जो उनके भक्तों को सुरक्षित रखने का काम करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा (मां दुर्गा मंत्र) के हाथों में मौजूद सभी अस्त्र-शस्त्र का खास महत्व है। जो उनके शक्तिशाली स्वरूप को प्रकट करते हैं।
मां दुर्गा आदिशक्ति हैं और उनका त्रिशूल त्रिदेव के रूप को दर्शाता है। ये शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। मां दुर्गा के हाथ में मौजूद त्रिशूल इस बात का संकेत देता है कि आत्मसुरक्षा सबसे अहम है। वहीं त्रिशूल के तीनों शूल सत्व, रजस और तमस गुणों के प्रतीक भी हैं। यह तीनों शूलों के संतुलन से ही सृष्टि का संचालन किया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस का वध भी इसी त्रिशूल से ही किया गया था। इसलिए उनका नाम महिषासुर मर्दिनी भी है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने ही मां दुर्गा को यह त्रिशूल भेंट किया था।
पौराणिक कथा के अनुसार मां काली ने चंड-मुंड कजा नाश करने के लिए तलवार का उपयोग किया था। इस तलवार से मां ने कई असुरों की बलि ली थी। यह तलवार भगवान गणेश ने मां को भेंट की थी। यह तलवार ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह बुराई से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
मां दुर्गा को अग्नि देव ने भेंट में भाला दिया था। वहीं देवताओं को असुरों से बचाने के लिए मां दुर्गा ने अस्त्र का उपयोग किया था।
मां दुर्गा का चक्र दृढ़ संकल्प का प्रतीक माना जाता है। यह चक्र भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) ने मां दुर्गा को भेंट किया था। वहीं शंख वरुण देव ने मां दुर्गा को दिया था। शंख के नाद से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
देवी मां दुर्गा का घंटा शक्ति और साहस को दर्शाता है। वहींं, यह घंटा देवराज इंद्र ने मां दुर्गा को भेंट दिया था।
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