राजस्थान ( Rajasthan ) में सभी 25 लोकसभा ( Lok Sabha ) सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है, इनमें से 6 सीटें ऐसी हैं जिन पर अगर कांग्रेस जीतती है तो इससे सचिन पायलट का कद बढ़ जाएगा, क्योंकि ये वो सीटें हैं जिन पर सचिन पायलट का प्रभाव है पायलट ने यहाँ ताबड़तोड़ प्रचार किये थे और ये सीधे-सीधे उनकी साख से जुड़ी हुई है, दरअसल सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) राजस्थान की पूर्ववर्ती सरकार में लगभग 3 साल तक उपमुख्यमंत्री रहे लेकिन सरकार में गुटबाजी के चलते सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया, जिसके बाद लगातार पायलट युवाओ के बीच अपनी पकड़ बनाते चले और अब एक बार फिर पायलट के पास राजनीति में अपने को साबित करने का मौका मिला है
पूर्वी राजस्थान की कुछ सीटों पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है, और इनमें से तीन सीटों पर सचिन पायलट का सीधा असर है, इन तीन सीटों पर लोकसभा चुनाव कांग्रेस जीतती है, तो कांग्रेस की सियासत में इसका असर पायलट के कद पर भी होगा, क्योंकि पिछले 5 सालों के दौरान जब कांग्रेस सरकार थी उस समय से सचिन पायलट हमेशा हाशिये पर नजर आए थे, ऐसे में लोकसभा में अगर कांग्रेस इन सीटों पर जीत दर्ज करती है तो राजस्थान के साथ ही आलाकमान के सामने भी सचिन पायलट का कद बढ़ेगा
दरअसल, ये वो 6 लोकसभा सीट है जिस पर पायलट की साख दांव पर लगी है जिनमे टोंक-सवाई माधोपुर, दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, जयपुर ग्रामीण और जोधपुर सीट से सीधे-सीधे सचिन पायलट की साख जुड़ी हुई है. इन सीटों पर अगर कांग्रेस पार्टी विजय प्राप्त करती है तो सचिन पायलट का कद दिल्ली की राजनीति में भी बढ़ सकता है
इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर हरीश मीणा चुनावी मैदान में हैं. सचिन पायलट खुद टोंक से विधायक हैं. ऐसे में टोंक-सवाई माधोपुर सीट से हरीश मीणा को जितवाना उनकी जिम्मेदारी मानी जा रही है. सचिन पायलट ने कई जगह जाकर हरीश मीणा के लिए वोट मांगे हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस यह सीट जीतती है तो इसका सीधा श्रेय सचिन पायलट को दिया जाएगा.
भरतपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने युवा-महिला चेहरे के रूप में संजना जाटव को मैदान में उतारा है.वे विधानसभा चुनाव में भी कठूमर से कांग्रेस की प्रत्याशी रहीं हैं माना जा रहा है कि उन्हें टिकट दिलवाने में सचिन पायलट की अहम भूमिका रही है. ऐसे में अगर यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती है तो सचिन पायलट के सियासी कद में इजाफा हो सकता है.
यह सीट गुर्जर मतदाताओं के बाहुल्य वाली है. यहां से कांग्रेस के टिकट पर भजनलाल जाटव चुनावी मैदान में हैं जो सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं. इस सीट के परिणाम से भी सचिन पायलट की साख सीधे तौर पर जुड़ी हुई है.
दौसा लोकसभा क्षेत्र पायलट परिवार की कर्मभूमि रहा है. सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट यहीं से सांसद रहे थे. इस सीट से चुनाव लड़ने वाले मुरारी लाल मीणा अगर चुनाव जीतते हैं तो इससे सचिन पायलट की साख पर फर्क पड़ेगा.
अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर से कांग्रेस ने इस बार करण सिंह उचियारड़ा को टिकट दिया है. करण सिंह ने बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत को कड़ी टक्कर दी है. करण सिंह उचियारड़ा पायलट के करीबी हैं. ऐसे में यह सीट अगर कांग्रेस जीतती है तो इसका भी श्रेय सचिन पायलट को दिया जाएगा.
जयपुर ग्रामीण सीट से कांग्रेस ने युवा चेहरे अनिल चोपड़ा पर दांव खेला है. अनिल चोपड़ा सचिन पायलट के करीबी हैं और उन्हें टिकट दिलवाने में भी उनका रोल रहा है. अनिल चोपड़ा के लिए कई रैलियां करके सचिन पायलट ने चुनावी प्रचार में काफी मेहनत की है. इस सीट पर भी बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है.