वो देश जिसके सामने रूस का लूना - 25 स्पेसक्रॉफ्ट भी टिक नहीं पाया। वो देश जिसके सामने लूना - 25 स्पेसक्रॉफ्ट भी लैंडिंग से पहले ही क्रैश हो गया। भारत वो देश है जिसकी सफलता केवल उसकी अपनी विकास महत्वाकांक्षाओं के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि और देशो के लिए भी बेहद ख़ास है। लेकिन आज भारत एक नई मिसाल कायम करने वाला है।
चंद्रयान-3 आज शाम को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ़्ट लैंडिंग करेगा, अगर सब योजना के हिसाब से ठीक-ठाक चलता रहा तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला और अमेरिका, चीन, सोवियत संघ के बाद चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बन जाएगा। 14 जुलाई को लॉन्च होने के बाद से धीरे-धीरे हर पड़ाव को पार करते हुए चंद्रयान चांद के पास पहुंचता गया। इस यान की लैंडिंग में कुछ ही घंटे बचे हैं, लेकिन इससे पहले जानते हैं कि भारत के पिछले दो मून मिशन का क्या हुआ ? और चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग से लेकर अब तक कैसा रहा सफर? और किन - किन बाधाओं को चंद्रयान - 3 पार करकर चाँद की सतह तक पंहुचा है ?
सबसे पहले बात करते है भारत के पिछले दो मून मिशन का क्या हुआ।
भारत ने चाँद पर अपना पहला मिशन 22 अक्टूबर, 2008 को भेजा था। इसे 2 साल तक चलना था, यान मे भारत, अमेरिका, यूके, जर्मनी, स्वीडन, और बुल्गारिया के 11 वैज्ञानिक उपकरण थे। यह चन्द्रमा के रासायनिक खनिज और फोटो भूगर्भिक मानचित्रण के लिए चन्द्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की उचाई पर चाँद की परिक्रमा कर रहा था। मई 2009 मे इसे 200 किलोमीटर दूर कक्षा में भेजा। इसके बाद 29 अगस्त 2009 मे यान से संपर्क टूट गया था।
इसका उद्देश्य भी चंद्रयान -3 की तरह ही चाँद के दक्षिणी ध्रुव के बारे मे जानकारी जुटाना था। यह स्पेसक्राफ्ट 14 अगस्त 2019 को लॉच किया गया था। इसमें ऑर्बिट, लेंडर और रोवर, तीन एहम हिस्से थे। यह यान 20 अगस्त 2019 को सफलतापूर्वक चाँद की कक्षा मे प्रवेश कर गया था। लेंडर विक्रम भी 2 सितम्बर 2019 को ऑर्बिट से अलग हो गया था। उसके बाद जैसे ही यान 2.1 किलोमीटर की उचाई पर पहुंचा। इससे संपर्क टूट गया था।
अब जान लेते है की चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग से लेकर अब तक का सफर कैसा रहा ?
14 जुलाई को LVM 3 से चंद्रयान - 3 लांच किया गया। इसके बाद 14 - 31 जुलाई के बीच चंद्रयान पृथ्वी की ऑर्बिट मे रहा। 1 - 5 अगस्त के बीच चंद्रयान चाँद की तरफ बढ़ता चला गया और 5 अगस्त को सफलतापूर्वक चंद्रयान चाँद की ऑर्बिट मे पहुंच गया था। 6 - 16 अगस्त के बीच 4 बार ऑर्बिट घटाकर लेंडर 153 x 163 किलोमीटर की ऑर्बिट मे लाया गया था। 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉडल से लेंडर अलग हो गया था। 18 - 20 अगस्त के बीच डिबूस्टिंग के बाद 25 X 234 किलोमीटर की ऑर्बिट मे लेंडर लाया गया था। उसके बाद यानी आज 23 अगस्त को चाँद की सतह पर चंद्रयान - 3 की सॉफ्ट लैंडिंग होने की उम्मीद है। वही आपको बता दे की गुजरात के अहमदाबाद स्थित इसरो के स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश एम देसाई ने कहा कि लैंडर मॉड्यूल और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर हम निर्णय लेंगे कि चंद्रयान-3 को किस वक्त चांद पर उतारना ठीक रहेगा। उन्होंने कहा, "23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले हम लैंडर मॉड्यूल और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर इस बात का फैसला करेंगे कि उसे उस समय उतारना ठीक होगा या नहीं। अगर हमें कोई भी फैक्टर ठीक नहीं लगा तो हम मॉड्यूल को 27 अगस्त को चंद्रमा पर उतारेंगे।
अब हम आपको बताते है की किन - किन बाधाओं को चंद्रयान - 3 पार करकर चाँद की सतह तक पंहुचा है ?
चंद्र पथ का सटीक अनुमान लगाते हुए पृथ्वी से 3.844 लाख किलोमीटर की दुरी तय कर चंद्रयान - 3 चाँद तक पहुंचा है। हेलो ऑर्बिट से गुजरते हुए धरती, चन्द्रमा और अन्य खगोलीय पिंडो के गुरुत्वाकर्षण बलों का सामना करकर चंद्रयान - 3 यहां तक पहुंचा है। गहन अंतरिक्ष के साथ धरती के साथ बखूबी संचार कायम किया और निरंतर संचार सफलता की कुंजी तक पहुंचा। चाँद की कक्षा मे प्रवेश की चुनौती को पार किया और चाँद से टकराने या अंतरिक्ष मे विलीन होने वाले खतरे को भी चंद्रयान - 3 ने पार कर लिया और सफलता पूर्वक यहां तक पहुंच गया।
अब हम आपको बताते है की विक्रम लेंडर की स्थिति क्या है ?
आज लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम अपना काम शुरू कर देगा। लेंडिंग से पहले शाम को थोड़ी देर पहले विक्रम लैंडर में लगे चार पेलोड्स काम करना शुरू होंगे। पहले पेलोड् का नाम "रंभा" है। यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेंगे। दूसरा पेलोड, "चास्टे" यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा। तीसरा पेलोड "इल्सा" यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा और आखिरी "लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे" यह चाँद के डीनोमिक्स को समझेगा। उसके बाद धीरे धीरे यह चारो पेलोड्स मिलकर चाँद की और आगे बढ़ेंगे और सफलतापूर्वक चाँद पर लेंड करने की कोशिश करेंगे।
इसरो के इस महत्वाकांक्षी मिशन से पूरे देश की उम्मीदें जुड़ी हैं। चंद्रयान-3 ने सारे देश को एक कर दिया है। मंदिरों में प्रार्थना हो रही है। मस्जिदों मे दुआ मांगी जा रही है। सारा देश चंद्रयान - 3 को लेकर उत्साहित है। उम्मीद करते है कि चंद्रयान - 3 आज शाम को 6 बजकर 4 मिनट पर सफलता पूर्वक लेंड कर जाएगा और इतिहास रच देगा।