आज ही के दिन 13 मई 2008 को जयपुर ( Jaipur ) में एक के बाद एक सिलसिलेवार 8 बम ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 71 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी, तो सेकड़ों लोगों के जख्म आज भी उस काली रात की हकीकत को बयां करते हैं, जयपुर बम ब्लास्ट की आज 16वीं बरसी भी है, लेकिन जख्म आज भी हरे के हरे हैं, ब्लास्ट पीड़ितों की जुबानी सुने तो मानो ऐसे लगता है कि ये कल की ही बात है, एक रिपोर्ट
जयपुर में साल 2008 में हुए एक के बाद एक सिलसिलेवार 8 बम धमाकों का दर्द 16 साल बाद भी पीड़ितों, गवाहों के मन में झलकता तो है पर साथ ही गहरा जख्म भी दे रहा है, बम के धमाके को 16 साल हो गए है, लेकिन चश्मदीद गवाहों का कहना है की हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर गया है, जिसकी वजह बता रहे है कि आरोपियों को क्लीन चीट मिलना, चश्मदीर गवाहों का कहना है कि मई का महीना बहुत डराता है, वजह है कि मई के महीने में होने वाली तेज चिलचिलाती गर्मी नहीं बल्कि 2008 में हुए बम धमाकों की गर्मी आज भी डराती है जिसमे सेकड़ो परिवार बेरोजगार भी हुए
चश्मदीद गवाहों का कहना है की सरकार ने पीड़ित परिवारों को 25 हजार रूपए का हर्जाना दिया और इलाज भी करवाया, लेकिन गवाहों का कहना है की दर्द तो तब होता है जब पीड़ित परिवार तो आरोपियों की फांसी का इंतजार कर रहे थे लेकिन बम धमाकों में लिप्त आरोपियों को कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई, जिससे की 16 साल ने न्याय की मांग को लेकर जो गवाह हाईकोर्ट और पुलिस के साथ लड़ रहे थे वो खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं
गवाहों और पीड़ितों ने कहा कि आरोपियों को मौत की सजा दिलाने के लिए 16 साल तक कोर्ट में ना जाने कितनी बार जाकर गवाही दी, और कोर्ट में गवाही देने के लिए 5-6 घंटे इंतजार करते, गवाहों ने कहा कि 18 दिसंबर 2019 को विशेष कोर्ट ने जयपुर बम ब्लास्ट के 4 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, तो हम हमारे 16 साल के दर्द को भूल गए थे, लेकिन हाईकोर्ट से जैसे ही आरोपी बरी होने के समाचार सुने तो भूले जख्मों में फिर से दर्द शुरू हो गया, और आज भी वो दर्द झलकता है
पीड़ित ओमप्रकाश सांखला का कहना है कि मेरे धमाकों में छह छर्रे लगे थे, जो आज भी शरीर में मौजूद हैं, चिकित्सकों का कहना है कि आपके शरीर में खून बनना बंद हो गया है, इसलिए यह ऑपरेट कर बाहर नहीं निकाल सकते हैं, हष्ट पुष्ट शरीर था, लेकिन शरीर में लगे छर्रों ने शरीर को आधा कर दिया, डॉक्टर ने दवा से जिंदा कर रखा हैं, 14 साल से धमाकों का दर्द झेल रहा हूं, कोर्ट में कम से कम 6-7 बार गवाही देने गया, एक बार वकीन ने पूछा कि बम ब्लास्ट करने वालों को देखा था क्या तो मैंने कहा अगर देखता तो जाने नहीं देता, वहीं पर मार देता, इस पर मजिस्ट्रेट ने आपत्ति भी जताई थी, लेकिन अब आरोपी बरी हुए तो मेरे जख्मों में फिर से दर्द शुरू हो जाता, बम धमाकों से पीड़ित राजू मेहरा का कहना है कि शरीर में 4 छर्रे होने के वजह से कभी भी चक्कर आ जाते है, तबीयत बिगड जाती है, रोजगार छूट गया है, कुछ भी नहीं कर सकते शरीर साथ नहीं देता है
फूलों के खंदे पर हुए धमाकों के बाद पुलिस को एफआईआर देने वाले मदनलाल सैनी ने कहा कि जब धमाके हुए तो 3 दिन दो रात तक घर नहीं गया, तब उम्र 30 साल थी। आज 46 साल का हो गया हूं, लेकिन अब भी वह दिन नहीं भूला हूं, मेरे पास भांजे का फोन आया था कि बड़ी चौपड़ पर धमाका हुआ है, मैं छोटी चौपड़ से देखने गया तो मैं जहां बैठा था, वहीं धमाका हो गया, छोटी चौपड़ खंदे पर धमाका होते ही कोतवाली थाने गया, वहां करीब 18-20 पुलिसकर्मी थे, जो थाने से बाहर निकले तो वहां धमाका हो गया, इसमें दो संतरी मारे गए, पुलिस के साथ मिलकर सारे सबूत बताए, पूरी घटना बताई, जब भी पुलिस कोर्ट बुलाती जाता, वकील घूमा फिरा कर सवाल पूछते, कोर्ट को मैंने सब सब सच बताया, जिसके आधार पर आरोपियों को फांसी की सजा मिली थी, उनसे कम और वकील हमसे ज्यादा सवाल पूछते थे, जैसे हम ही आरोपी हो
छोटी चौपड़ स्थित मंदिर के पुजारी महेश दास का कहना है कि बम धमाकों के निशान आज भी बोर्ड पर मौजूद है, जिस वक्त बम धमाका हुआ मैं अपनी पत्नी के साथ भजन कर रहा था, मुझे लगा ट्रांसफार्मर फटा है, लेकिन जब छर्रे मंदिर की तरफ आए तो हम घबरा गए