राजस्थान की अलवर लोकसभा सीट हरियाणा से सटी हुई है. इसी के माध्यम से राजस्थान दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक देता है. और दस्तक भी ऐसी कि जिसकी सियासी गूंज ने कई बार लोकसभा को भी हिलाया है. अलवर की सियासत को समझना और जानना इतना भी आसान नहीं, जितने आप सोच रहे होंगे. यहां की मिट्टी ने कई बड़े-बड़े नेता देश को दिए हैं।
आज हम बात करेंगे अलवर लोकसभा की,,,अलवर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को मैदान में उतारा है. भूपेंद्र यादव को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने युवा नेता और मुंडावर के विधायक ललित यादव को खड़ा किया है. दोनों ही नेता पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. भूपेंद्र यादव राजस्थान के अजमेर से ताल्लुक रखते हैं। 2012 में बीजेपी ने उन्हें राजस्थान से राज्यसभा का सदस्य बनाया. 2018 में वह फिर से राज्य सभा सांसद बने
अलवर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीट हैं. जिनमें पांच पर कांग्रेस का कब्जा है.अलवर लोकसभा सीट पर महंत बालकनाथ सहित 9 बार यादव प्रत्यासी विजयी रहे हैं, जबकि गैर यादव भी 8 बार सांसद बन चुके हैं वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बाबा बालकनाथ ने कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र सिंह को 3.29 लाख वोटों से हराया था
अलवर सीट के जातीय समीकरण की बात करे तो अलवर में 20 लाख, 52,हजार मतदाता हैं. अलवर लोकसभा सीट पर हमेशा यादवों का ही दबदबा रहा है. लेकिन शुरूआत में जरूर गैर यादवों ने यहां से चुनाव जीते, लेकिन आपातकाल के बाद बदली परिस्थिती अब भी जारी है
केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के राजनीतिक करियर की तो उन्होंने एक छात्र संघ नेता के रूप में शुरुआत की और 2000 में, उन्हें वकीलों के संगठन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद का महासचिव नियुक्त किया गया और 2009 तक इस पद पर रहे, अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत से पहले, वह एक वकील थे यादव को 2010 में तत्कालीन राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी द्वारा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था, 4 अप्रैल 2012 को उन्हें राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया। जुलाई 2021 में, यादव को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन और श्रम और रोजगार के कैबिनेट मंत्री के रूप में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया
ललित यादव पहली बार मुंडावर विधानसभा सीट से विधायक है, इससे पहले 2018 में वह मुंडावर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे, ललित यादव को पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का करीबी माना जाता है, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जितेंद्र सिंह के कहने पर ही ललित यादव को टिकट मिला है
तो ये थे अलवर लोकसभा सीट के चुनावी समीकरण, जहां अनुभव के सामने युवा की सीधी टक्कर काफी दिलचस्प नजर आ रही है, ऐसे में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही भाजपा पर युवा नेता और विधायक ललित यादव कैसे पार पा पाते हैं ये देखने वाली बात रहेगी,