ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 46 साल बाद खोला गया । इससे पहले रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई थी। वहीं आज मानक संचालन प्रक्रिया के बाद मंदिर का रत्न भंडार खोला गया, वहीं रत्न भंडार खोलने की प्रक्रिया को पारदर्शी रखने के लिए मंदिर कमेटी के सदस्यों के अलावा रिजर्व बैंक और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे, इसके साथ ही 11 लोगों की मौजूदगी में रत्न भंडार का ताला खोला गया
रत्न भंडार को फिर से खोलने के लिए गठित पैनल के अध्यक्ष और ओडिशा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विश्वनाथ रथ ने कहा की जैसा कि तय किया गया था, और जैसा कि सभी जानते हैं, सरकार ने तीन भागों में आवश्यक SOP जारी कर दिए हैं- एक रत्न भंडार खोलने के लिए है, फिर दोनों 'भंडारों' में रखे आभूषणों और कीमती सामानों को गर्भगृह के अंदर पूर्व-आवंटित कमरों में ले जाना है। रत्न भंडार खोलने के समय 11 लोग मौजूद रहे, इसके साथ ही पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी गई गी
वही जगन्नाथ मंदिर का खजाना आखिरी बार 1978 को खोला गया । जिसमे करीब 128 किलो सोना और 222 किलो चांदी होने की बात कही गई, इनके अलावा सोने-चांदी की कई वस्तुओं का आकलन नहीं किया गया। 1978 के बाद से अब तक मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई अंदाजा नहीं है।
रत्न भंडार को इससे पहले साल 1905, साल 1926 और 1978 में खोला गया था, साल 2018 में ओडिशा विधानसभा में इसकी जानकारी तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने दी थी उन्होंने बताया था कि रत्न भंडार में 12,831 भरी से ज्यादा सोने के जेवर हैं. इनमें कीमती पत्थर लगे हैं. साथ ही 22,153 भरी चांदी के बर्तन और अन्य सामान हैं. आपको बता दें कि एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है. ओडिशा विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार को खोले जाना बड़ा मुद्दा था. भाजपा ने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद इस खजाने को खोला जाएगा.