जयपुर- प्रदेश के सबसे बडे सवाईमान सिंह अस्पताल में चिकित्सकों ने एक मरीज को नया जीवनदान दिया है। दरअसल मरीज के साथ लूटपाट के दौरान बदमाशों ने छाती में चाकू मार दिया और मरीज को घायल अवस्था में एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में लाया गया। चिकित्सकों का कहना है कि मरीज जब अस्पताल पहुंचा तो उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी। छाती में चाकू लगने के कारण मरीज का बीपी लगातार गिर रहा था और खून अधिक बह जाने के कारण मरीज की स्थिति खराब हो चुकी थी। चिकित्सकों का कहना है कि मरीज की स्थिति देखते हुए तुरंत आॅपरेशन करने का निर्णय लिया गया। ऑपरेशन के दौरान मरीज को कार्डियक अरेस्ट आ गया और इसके बाद मरीज की बीटिंग हार्ट को रिपेयर करके मरीज की जान बचाई गई।
चिकित्सकों का कहना है कि बीते शनिवार को sms ट्रोमा सेंटर में पहुँचे 20 वर्ष के युवराज सिंह को लूट के वक़्त छाती पर चाकू मार दिया गया। युवराज को देख उसके परिवार ने सोचा भी नहीं होगा की उनके बच्चे के हार्ट में इतनी गंभीर चोट है की बस यह कुछ घंटों का मेहमान है। डॉक्टर्स की टीम ने जब पाया की मरीज़ का BP काफ़ी कम है (hypotension) तथा हार्ट धड़कन की आवाज़ भी कम है (muffled heart sound) तो तुरंत eFAST जाँच की गई जिसमे हार्ट के चारों तरफ़ खून के रिसाव से हार्ट पर अत्यधिक बढ़ता हुआ दबाव पाया गया। जिसे कार्डियक टेम्पोनाड़ कहते है। हार्ट के चारो तरफ़ अत्यधिक खून के थक्के एवम् वेंट्रिकल में छेद होना, BP का लगातार गिरना ओर बीटिंग हार्ट से होने वाले रक्तस्राव को तुरंत कंट्रोल करना चुनौतीपूर्ण था। बीटिंग हार्ट रिपेयर कर ब्लीडिंग कंट्रोल की गई। परंतु ऑपरेशन के दौरान ही कार्डियक अरेस्ट होने पर Internal CPR (open cardiac massage) देकर cardiac activity पुनः प्राप्त की गई। डॉDVj ने बताया की ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति हर एक सेकंड क़ीमती होती है। सर्जन के शरीर में एड्रीनलीन रश होता है। बिना घबराये, टीम के संयम और समन्वय से ही अच्छे नतीजे मिलते है। एनस्थिसिया टीम से डॉ. प्रियंका, डॉ. कुलश्रेठ, डॉ. शिल्पा का रिस्सिएटेशन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। ओटी एवम् ICU स्टाफ नरेंद्र, बृजमोहन, सरोज, पवन, मंजु आदि का योगदान रहा। सफलातपूर्वक आपरेशन करने पर अस्पताल के अधीक्षक डाॅ अचल शर्मा ने चिकित्सकों की टीम को बधाई दी सर्जरी HOD डॉ. प्रभा ओम, नोडल ऑफिसर ट्रोमा डॉ. अनुराग धाकड़ के मार्गदर्शन में ट्रोमा सर्जरी के डॉ. दिनेश गोरा, रेज़ीडेंट्स डॉ. आशीष, डॉ. आकाश, डॉ. वक्ताराम ने अंजाम दिया।