देश के गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को जगदलपुर के लालबाग परेड मैदान में आयोजित बस्तर दशहरा लोकोत्सव और स्वदेशी मेला को संबोधित करते हुए नक्सलवाद पर सख्त संदेश दिया, उन्होंने साफ कर दिया कि नक्सलियों से किसी भी तरह की बातचीत संभव नहीं है, पहले वे आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा से जुड़कर बस्तर के विकास में सहभागी बनें।
“बातचीत नहीं, सिर्फ आत्मसमर्पण” – अमित शाह
गृह मंत्री ने अपने भाषण में दो टूक कहा की, “कुछ लोग बातचीत की बात करते हैं, लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं कि हमारी सरकार की नीति स्पष्ट है। बातचीत नहीं होगी, आत्मसमर्पण होगा। हथियार के बल पर अगर किसी ने बस्तर की शांति भंग की तो हमारे सुरक्षा बल उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे।”
उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
विकास को रोकने वाली सबसे बड़ी बाधा – नक्सलवाद
अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में कई सालों तक यह भ्रांति फैलाई गई कि नक्सलवाद विकास की लड़ाई है, लेकिन सच यह है कि नक्सलवाद ने ही बस्तर और आदिवासी समाज को विकास से वंचित किया।
उन्होंने गिनाया कि देश के गांवों तक बिजली, शौचालय, स्वच्छ पेयजल, पक्का घर, सड़क, स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त राशन जैसी सुविधाएं पहुंच चुकी हैं, लेकिन बस्तर अभी भी पीछे रह गया क्योंकि यहां नक्सलवाद ने विकास को रोक रखा था।
4 लाख करोड़ का निवेश और आदिवासी कल्याण योजनाएं
शाह ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में विकास कार्यों के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट दिया है। साथ ही आदिवासी समाज के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।
आत्मसमर्पण नीति और नक्सल-मुक्त गांव को इनाम
गृह मंत्री शाह ने छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति की सराहना करते हुए कहा कि सिर्फ एक महीने में ही 500 से ज्यादा नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं, उन्होंने घोषणा की कि जो भी गांव नक्सली मुक्त होगा, वहां के विकास के लिए सरकार 1 करोड़ रुपये देगी।
शाह ने आदिवासी समाज से अपील की –“आपके गांव के बच्चे ही गुमराह होकर नक्सली बन रहे हैं। उन्हें समझाइए, वे हथियार डाल दें और विकास में सहभागी बनें। नक्सलवाद से किसी का भला नहीं हुआ और न ही होगा।”
भाषण से पहले अमित शाह ने जगदलपुर स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की और बस्तर दशहरा के प्रसिद्ध मुरिया दरबार में शामिल होकर आदिवासी पुजारियों और समुदाय के नेताओं से बातचीत की।
उन्होंने मां दंतेश्वरी से प्रार्थना की कि सुरक्षा बलों को इतनी शक्ति मिले कि 31 मार्च 2026 तक बस्तर को लाल आतंक से पूरी तरह मुक्त किया जा सके।