शुक्रवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले के सभी केस की ट्रांसफर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सर्वे पर रोक लगाने वाली याचिका ख़ारिज करते हुए कहा अगर सर्वे से दिक्कत है तो सही तरीका अपनाए और सबूतों के साथ बात करे। इसके बाद आपकी सुनवाई पर विचार किया जाएगा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि सन 1670 में श्री कृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित ठाकुर केशव मंदिर को तोड़कर उसकी जगह शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई। जिस वक़्त मस्जिद बन रही होती है उस वक़्त निर्माण के समय मंदिर के अवशेष और कुछ चिन्ह पाए गए थे। उनका कहना है कि इन सब बातों के सबूत श्री कृष्ण जन्मस्थान से जुडी किताबों में मिलते हैं। गुरूवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार करते हुए ईदगाह सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था और कोर्ट ने यह फैसला 16 नवंबर को ही सुरक्षित रख लिया था.
शाही ईदगाह कमेटी ने हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए गए सभी केस को मथुरा कोर्ट में ट्रान्सफर करवाने की मांग की है.जिसको लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी.इसी बीच मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के आदेश को मेंशन देते हुए सर्वे पर रोक लगाने की मांग की। शाही ईदगाह मस्जिद मामले में ईदगाह मस्जिद कमिटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी। जहां कमिश्नर सर्वे और हाईकोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
हिन्दू पक्ष का दावा है कि आज भी शाही ईदगाह मस्जिद में मंदिर होने के सबूत मौजूद है बस एक बार सर्वे होने की देर है.वहीं दूसरी और मुस्लिम पक्ष का दावा है कि मस्जिद में इस तरह के कोई चिन्ह या सबूत नहीं है....अब मुस्लिम पक्ष का दावा सच्चा है या हिन्दू पक्ष का ये तो कोर्ट तय करेगा और इस मामले में अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी। एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया है कि मस्जिद की दीवारों पर आज भी कमल पुष्प, ओम और शेषनाग के चिन्ह है।