13 दिसंबर को राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने स्मृति ईरानी से पीरियड लीव पर एक सवाल किया। उन्होंने पूछा बिहार पीरियड लीव देने वाला पहला राज्य था लेकिन क्या अब केंद्र सरकार पीरियड्स की छुट्टी के लिए कोई कानून बनाने पर विचार कर रही है या नहीं। जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पीरियड्स कोई रुकावट नहीं है और इसके लिए महिलाओं को पीरियड पेड लीव लेने की कोई जरूरत नहीं है। ईरानी ने कहा कि पीरियड और पीरियड साइकिल कोई बाधा नहीं है। यह महिलाओं के जीवन का एक हिस्सा है। आज महिलाएं ज्यादा से ज्यादा आर्थिक अवसरों का विकल्प चुन रही हैं। मैं इस पर सिर्फ अपना व्यक्तिगत विचार रखूंगी।
स्मृति ईरानी ने कहा कि हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं करना चाहिए जहां महिलाओं को किसी तरह से समान अवसर से वंचित किया जाता है। मैं खुद एक महिला हूं। इसलिए में कहना चाहती हूं कि पीरियड्स कोई बाधा नहीं है,यह एक महिला की जीवन यात्रा का स्वाभाविक हिस्सा है। इसके साथ ही मनोज झा ने स्मृति ईरानी से यह भी पूछा क्या सरकार सेनेटरी नैपकिन में इस्तेमाल में होने वाले केमिकल को रोकने के लिए कोई विचार कर रही है या नहीं,जिस पर स्मृति ईरानी ने जवाब दिया की ये सब चीजे महिला और बाल विकास मंत्रालय के दायरे में नहीं आती है। ये सवाल मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ा है।
इससे पहले भी लोकसभा में 8 दिसंबर को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी पीरियड पद लीव पर स्मृति ईरानी से सवाल किया था। थरुर ने सरकार से सवाल पूछा था कि क्या सरकार ने सभी वर्कप्लेस के लिए पेड पीरियड लीव का प्रावधान जरुरी करने पर विचार किया या नहीं। थरूर के सवाल पर स्मृति ईरानी ने कहा था मन्स्ट्रुएशन यानी मासिक धर्म शरीर की एक प्रक्रिया है, इसमें कुछ महिलाओं या लड़कियों को ज्यादा गंभीर समस्या होती है तो वहीं कुछ महिलाओं को पीरियड्स में होने वाली समस्याओं को दवा से कंट्रोल किया जाता है। सभी वर्कप्लेस के लिए पेड पीरियड लीव जरुरी करने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के विचाराधीन नहीं है।