‘सोने की चिड़िया’, ‘स्वर्ग का उपवन’, सच्ची दोस्ती, नीलकमल और लाल कमल, ये कहानियां सिर्फ परी कथाएं नहीं बल्कि जिंदगी में सीख दे जाने वाले किस्से हैं। ऐसी ही अनोखी कहानियों, किस्सों और रचनात्मक गतिविधियों के जरिए बच्चों को किताबों से जोड़ने के लिए जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित दो दिवसीय बुकरू चिल्ड्रन लिटरेचर फेस्टिवल के 5वें संस्करण की शनिवार को शुरुआत हुई। फेस्टिवल का उद्घाटन केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक श्रीमती अलका मीणा ने आर इज फॉर राजस्थान एक्टिविटी में राजस्थान के बारे में अपने मन के भाव उकेर कर किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में बच्चों ने पैरेंट्स के साथ पहुंचकर इस उत्सव में हिस्सा लिया। फेस्टिवल में 9 देशों की 28 एक्सपर्ट्स बच्चों से रूबरू हो रहे हैं।
पहले दिन 28 सेशन व 2 ऑनगोइंग एक्टिविटी में बच्चों ने भाग लिया। जाहिर है बच्चों की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है और उस दुनिया में जाने के लिए बच्चे बेहद उत्सुक दिखाई दिए। वह हंसते खिलखिलाते तैयार थे अपनी काल्पनिक दुनिया में जाने के लिए जहां सब वैसा है जैसा वो चाहते हैं। इसी कड़ी में सभी बच्चे अपनी आयु वर्ग के अनुसार विभिन्न सेशन में पहुंचे। कहानी ट्री में गीता रामानुजन ने बच्चों को बताया कि कैसे खुशियों ने एक राक्षस को अच्छा इंसान बना दिया, वत्सला जुत्शी ने अपने कहानी सुनाने के अंदाज से बच्चों को राजा-रानी की दुनिया में प्रवेश कराया और टीम प्रोग्रेसिव फोरम बच्चों को एक जादुई दुनिया में ले गए जहां से बाहर आने का किसी का मन ही नहीं किया। कहानी ट्री में प्रियंका चटर्जी, रचना छाबड़िया, शिल्पा मेहता, विनिथा ने भी अपने अनोखे अंदाज में कहानियां बच्चों के सामने रखी।
कृष्णायन स्टूडियो में तब्दील हुआ जहां लेखक व कलाकार विनिथा ने बच्चों को जामिनी रॉय की तरह बनने के लिए प्रेरित किया, जो पूरे दिन कलाकारी करना चाहता था चाहे उसके पास कागज या पेंट हो या न हो बस वह अपने आप को आर्टिस्ट मान चुका था। मेघा गुप्ता के मोंटूज मॉन्स्टर सेशन में बच्चों ने अपने डर का सामना करके उसे हराना सीखा जिसमें बच्चों की उत्सुकता यह दर्शा रही थी कि उनकी काल्पनिक दुनिया में कुछ बातें हैं जो सिर्फ वही समझ सकते हैं, जिससे उन्हें खुद ही निपटना होगा। नंदिता दा और मैक्स एस्टेस के सेशन को भी बच्चों ने खूब एंजॉय किया।
रंगायन ऑडिटोरियम में हुए पहले सत्र में आनंद नीलकंठन ने माही के सपनों वाली दुनिया से बच्चों को जोड़ा। जैल स्लीमन रायडिंग ए रॉयल एलिफेंट सेशन में भारत की यात्रा का अनुभव करवाया। प्रत्युष गुप्ता ने कलर्स ऑफ म्यूजिक सेशन में शास्त्रीय संगीत के सौंदर्य से बच्चों को रूबरू करवाया। क्राफ्टी कॉर्नर में बिम्ब्राह मार्क्स, सिमरन तापड़िया, लॉरेंस, अलंकृता अमाया ने बच्चों को अलग—अलग क्राफ्ट बनाना सिखाया। द पोडियम में एलिजाबेथ एट्ज, मलिका रवि कुमार, मार्क पर्चोव के क्रिएटिव सेशन हुए। डूडल वॉल में मार्क पर्चोव ने बच्चों को वॉल पर लाइन्स को ड्रॉ करने का काम दिया जिसके नियम थे सफाई से लाइन बनाना, धैर्य रखना और कल्पना को रूप देना। ऐसे में बच्चों ने लाइन्स ड्रॉ करते हुए तितली, बुकरू टाइटल, किताबें, फूल आदि ड्रॉ किए। डूडल वॉल पर क्लो चांग, सात्विक, चार्वाक दिप्ता आदि की कल्पनाओं में बच्चों ने रंग भरे। जेकेके की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा ने कहा कि बच्चों के रचनात्मक संसार को बुकरू के जरिए साकार करने का प्रयास किया गया है। वर्तमान में बच्चे आउटडोर एक्टिविटी में कम हिस्सा लेते हैं उनका अधिकतम समय स्क्रीन पर गुजरने लगा है ऐसे में विभिन्न गतिविधियों को एक मंच पर लाने वाले बुकरू फेस्टिवल में विशेषज्ञों के सानिध्य में बच्चों के रचनात्मक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।